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UP ELECTION 2022 : अवधेश प्रसाद को जिसने भी मात देकर कुर्सी हथियाई , वह दोबारा सदन में नही जा सका।

लखनऊ: अयोध्या राजनीति संभावनाओं का खेल है।जबसे होश सम्हाला तबसे यह बात सुन रहा हूं। सियासत में एक से एक सियासतदानों को फर्श से अर्श पर जाते हुए देखा है। हम बात करें अगर फैजाबाद (अब अयोध्या) के सियासत की तो एक से एक बड़े नेता यहां से गुजरे हैं। राममंदिर को एक बड़ा मुद्दा बनाकर जनसंघ (अब भाजपा) दो सीट वाली विधानसभा से लेकर लोकसभा तक मे अपनी धमक बनाई। 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव जीतकर और 2017 और 2022 में विधानसभा में अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराकर जनता का विश्वास पाया है। अब बात करते हैं।जनपद के कद्दावर समाजवादी नेता माने-जाने वाले और मिल्कीपुर से सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद का राजनीतिक कैरियर अलग ही रहा है इसे चाहे भाग्य कहा जाए अथवा संयोग कहना अतिशयोक्ति होगा। जिसने भी अवधेश प्रसाद को मात देकर कुर्सी हथियाई वह दोबारा सदन में नही जा सका। हम सिलसिलेवार ढंग से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री अवधेश प्रसाद के राजनीतिक सफर की कुछ झलकियां पेश करते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि, यह संयोग है या भाग्य

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1 – सोहावल विधानसभा सीट विधायक चुने जाने के बाद कांग्रेस प्रत्याशी हुबराज कोरी ने वर्ष 1977 में चुनाव हराया था जिसके बाद से वह दोबारा विधायक नहीं बन सके।

2 – इसी सोहावल सीट से 1980 में कांग्रेस प्रत्याशी माधव प्रसाद, अवधेश प्रसाद को चुनाव हराकर विधायक चुने गए लेकिन उन्हें दोबारा विधायक बनना नसीब नहीं हुआ।

3 – बर्ष 1985 में इसी सीट पर माधव प्रसाद फिर से अवधेश प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़े थे किंतु फिर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था और आज तक माधव प्रसाद को विधायक बनना नसीब नहीं हुआ।

4 – 1990 में भाजपा प्रत्याशी रामू प्रियदर्शी ने अवधेश प्रसाद को चुनाव हराया था और 1995 में फिर अवधेश प्रसाद उसी सोहावल विधानसभा सीट से विधायक चुने गए जबकि रामू प्रियदर्शी दोबारा विधायक नहीं बन सके। तब से लगातार अवधेश प्रसाद सोहवल विधानसभा से विधायक निर्वाचित होते रहे।

5 – वर्ष 2012 में मिल्कीपुर सुरक्षित विधानसभा से समाजवादी पार्टी के बैनर तले अवधेश प्रसाद चुनाव लड़े थे और विधायक चुने गए थे किंतु 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गोरखनाथ बाबा से चुनाव हार गए थे।
अबकी बार 2022 के चुनाव में भी उनके भाग्य प्रबल दिख रहे हैं। उनके राजनीतिक कैरियर को देखने के बाद साफ परिलक्षित हो रहा है कि शायद उन्हें विधानसभा चुनाव हराने के बाद दोबारा उसी प्रत्याशी से सामना होने पर चुनाव हरा पाना भविष्य के गर्त में है हालांकि उपरोक्त विवरण के अवलोकन से साफ जाहिर है कि अवधेश प्रसाद के राजनीतिक सितारे जरूर बुलंद है।

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