Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu
Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu

महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह का इस्तीफा, यह हो सकते हैं अगले महाधिवक्ता !

Lucknow :  उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह (Advocate General Raghavendra Singh) से इस्तीफा गया है। जानकारी के मुताबिक, पिछले महीने ही उनसे इस्तीफा ले लिया गया। वहीँ उच्चन्यायालय (high Court) से जुड़े सूत्रों की मानें तो राघवेंद्र सिंह ने लखनऊ हाईकोर्ट स्थित कार्यालय से भी अपना निजी सामान हटा लिए हैं। अभी तक नए महाधिवक्ता की नियुक्ति नहीं की गई  है। वहीँ राघवेंद्र सिंह के इस्तीफा लिए जाने के बाद तरह-तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं। लोग इस इस्तीफे के पीछे कई कारण मान रहें हैं। लखनऊ खंडपीठ (bench) से जुड़े एक वरिष्ठ अधिवक्ता की मानें तो राघवेंद्र सिंह ने बेटे अनुराग सिंह (Anurag Singh) को सीबीआई (CBI) , चुनाव आयोग और लखनऊ विश्वविद्यालय (university) सहित कई महत्वपूर्ण विभागों के पैरवी की जिम्मेदरी दे रखी है।

- Advertisement -

विवादों से रहा है नाता
राघवेंद्र सिंह का कार्यकाल शुरू से ही  विवादों से जुड़ा रहा था। 2017 में सरकार बनने के बाद सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्तियों को लेकर बरती गई लापरवाही में भी उनका नाम सामने आया था। इसके बाद सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति को लेकर राघवेंद्र सिंह और भाजपा संगठन में कई बार ठनी थी। वहीँ संगठन से जुड़े कुछ नेताओं का कहना है कि उन्होंने कई अन्य दलों के अधिक्वताओं को सरकारी अधिवक्ता नियुक्त कर दिया। सूत्रों की माने तो शुरुआत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से महाधिवक्ता की ठीक बन रही थी, किंतु समय बीतने के साथ ही महाधिवक्ता के प्रति मुख्यमंत्री (Chief Minister) का रवैया बदल गया। इसका कारण प्रमुख मामले में सरकार का पक्ष रखने अदालत (Court) में पेश होते थे उसमें ही सरकार को मुंह की खानी पड़ती थी।

टशन में रहते थे राघवेंद्र सिंह
राघवेंद्र सिंह के रवैया को देखते हुए शासन ने एक आदेश पारित कर दिया था कि जब महाधिवक्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में उपलब्ध ना हो तो उनके स्थान पर अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल (Manish Goyal) कामकाज देखेंगे तो वही लखनऊ बेंच में उनकी अनुपस्थिति में अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही को उनका कार्यभार देखने का आदेश जारी किया गया था। वैसे तो महाधिवक्ता का पद संवैधानिक पद होता है और वह अपने आप में एक संस्थान होता है किंतु यह देखा गया। राघवेंद्र सिंह की ऐंठ के चलते सरकार को अधिकांश प्रमुख मामलों में किसी अपर महाधिवक्ता को ही मोर्चे पर लगाना पड़ता था। कई ऐसे मामले हुए जिसमें सरकार की काफी किरकिरी हुई। पर्शनल एपीरियंस ज्यादा हुए।

जानकारी के मुताबिक, एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जब उन्हें एक केस में सहयोग के लिए बुलाया तो उन्होंने कहलवा दिया की वह नहीं आएंगे। हालांकि पीठ को बताया गया कि वह हाई कोर्ट में ही अपने कार्यालय में बैठे हैं। इसके बाद पीठ ने महाधिवक्ता को लेकर कई गंभीर टिप्पणियां कर दी थी। तब शासन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जहां सुनवाई के दौरान भी यह बात सामने आई कि महाधिवक्ता को अदालतों से सहयोग पूर्ण रवैया अपनाना चाहिए और मिजाज में तल्खी के बजाय मुलायमियत रखनी चाहिए। संगठन के कई प्रमुख लोगों का मानना है कि राघवेंद्र सिंह ने अपने पांच साल के कार्यकाल में किसी भी बड़े मामले में सरकार को सफलता नहीं दिलाई।

यह हो सकते हैं अगले महाधिक्वता !
राघवेंद्र सिंह इस्तीफा देने के बाद से यह पद खाली हो गया है। ऐसे में अगला महाधिवक्ता कौन होगा। इसपर मंथन चल है। जानकारी के मुताबिक, इलाहाबाद उच्चन्यालय के किसी वरिष्ठ अधिवक्ता को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीँ सूत्रों की माने तो मनीष गोयल और जयदीप माथुर का ननम प्रमुखता चल रहा है।

कौन होते हैं महाधिवक्ता
महाधिवक्ता (ऐडवोकेट जनरल) किसी देश या प्रान्त का उच्च विधि अधिकारी होता है, जो प्राय: विधिक मामलों में न्यायालय या सरकारों को सलाह देने का काम करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 165 के अनुसार राज्यपाल द्वारा महाधिवक्ता की नियुक्ति की जाती है। राज्य का सर्वोच्च विधि अधिकारी महाधिवक्ता होता है। महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत कार्य करता है। (राज्यपाल उसे कभी भी उसके पद से हटा सकता है ) वह एक उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश बनने की क्षमता रखता है। लेकिन व्यवाहिरकता में मुख्यमंत्री ही नाम का प्रस्ताव है।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel is trashed.

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें