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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: वेश्यावृत्ति कानूनी रूप से वैध, अब पुलिस नहीं ले सकती क्रिमिनल एक्शन

लखनऊ डेस्क

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को एक अहम फैसले सुनते हुए कहा कि वेश्यावृत्ति (Prostitution) कानूनी रूप से वैध है। साथ ही कहा पुलिस (Police) उनके काम में न तो दखल दे सकती है और न ही आपराधिक कार्रवाई कर सकती है। इस पूरे मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यौनकर्म एक पेशा है। इस काम में लगीं महिलाएं भी कानून के तहत गरिमा और समान सुरक्षा पाने की हकदार हैं।

बता दें न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव (Justice L Nageswara Rao) की अध्यक्षता में जस्टिस बी.आर. गवई (Justice B.R. Gavai) और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना (Justice A.S. Bopanna) की तीन सदस्यीय पीठ ने यौनकर्मियों के अधिकारों की रक्षा के लिए छह निर्देश जारी किए। पीठ ने कहा, ‘यौनकर्मी कानून के समान संरक्षण की हकदार हैं। आपराधिक कानून सभी मामलों में उम्र और सहमति के आधार पर समान रूप से लागू होना चाहिए।’

साथ ही पीठ ने कहा कि ‘जब यह स्पष्ट हो जाए कि यौनकर्मी वयस्क है और सहमति से भाग ले रही है, तो पुलिस को हस्तक्षेप करने या कोई आपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि पेशे के बावजूद, इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है।’

वहीं कोर्ट ने कहा कि यौनकर्मियों के बच्चे को सिर्फ इस आधार पर मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए कि वह देह व्यापार में है। अदालत ने कहा, “मानव शालीनता और गरिमा की बुनियादी सुरक्षा यौनकर्मियों और उनके बच्चों तक को है।” इसके अलावा, यदि कोई नाबालिग वेश्यालय में या यौनकर्मियों के साथ रहता पाया जाता है, तो यह नहीं माना जाना चाहिए कि उसकी तस्करी की गई है।

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