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नागिन के दीवाने चार युवकों ने रचाई शादी, जानें इनकी अजब-गजब कहानी !

लखनऊ : हर साल सावन के महीने में पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। नाग पंचमी के मौके पर यानी आज हम आपको कुछ ऐसी पौराणिक कथाओं के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में जानकार आप चौंक जाएंगे। यह कथाएं उन इंसानों से जुडी हुई हैं जिन्होंने नागिन से शादी की थी। जरत्कारु, उलूपी, सुलोचना और अहिलवती यह वह नागिन हैं, जिनका विवाह इंसान से हुआ था। आज हम आपको इनके विवाह से संबंधित कथाओं के बारे में बताएंगे…

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जरत्कारु ऋषि का नाग कन्या के साथ विवाह

पौराणिक कथा के अनुसार, वासुकी नाग की बहन जरत्कारु का विवाह जरत्कारु ऋषि से हुआ था। जरत्कारु ऋषि ने तपस्या करके अपना शरीर क्षीण कर लिया था। इसलिए उनका नाम जरत्कारु पड़ा। वहीं यह भी संयोग था कि नागराज वासुकी की बहन ने भी तपस्या से अपने शरीर क्षीण कर लिया था। इसलिए भी उनका नाम भी जरत्कारु पड़ गया। जरत्कारु ऋषि विवाह नहीं करना चाहते थे इसलिए ब्रह्मचर्य धारण करके तपस्या में लीन हो गए थे।

उन दिनों राजा परीक्षित का राजत्व काल था। जरत्कारु ऋषि काफी नियमों का पालन करते थे और वह अपने खानदान में इकलौते बच्चे थे। मुनि वर के पिता इस बात से चिंतित थे और वंश परंपरा के नाश के कारण नरक में गिरते जा रहे थे। पितरों के दुख देखकर जरत्कारु ने अपनी शर्तों के साथ विवाह का निश्चय किया। उन्होंने कहा कि मैं उस कन्या से विवाह करूंगा, जिसका नाम जरत्कारु होगा और विवाह के बाद उसके भरण-पोषण का भार नहीं उठाउंगा। तब नागराज वासुकी की बहन जरत्कारु मुनि वर से विवाह करने पहुंची।

अर्जुन का नाग कन्या उलूपी से विवाह

कौरव्य नाग की पुत्री उलूपी का विवाह पांडव पुत्र अर्जुन से हुआ था। जलपरी नागकन्या उलूपी अर्जुन की चौथी पत्नी थीं। कथा के अनुसार, द्रौपदी के महल में एक साल में केवल एक ही पांडव प्रवेश कर सकता था। अगर कोई आ जाता था तो उसको वनवास जाना पड़ता था। एक दिन युधिष्ठिर के होते हुए अर्जुन द्रौपदी के महल में पहुंच गए। तब उनको वनवास जाना पड़ा। वन-वन भटकते हुए अर्जुन का नागों से युद्ध हो गया और उसमें बड़ी संख्या में नाग मारे गए थे। इसलिए नागवंशी अर्जुन से बदला लेना चाहते थे। तब उलूपी को अर्जुन को मारने के लिए भेजा गया था। अर्जुन को देखकर नागकन्या मोहित हो गई और मारने का विचार त्याग कर प्रेम करने लगी। एक बार मृत्यु प्राप्त हो चुके अर्जुन को नागमणि से उलूपी ने पुनर्जीवित कर दिया था।

मेहनाद का नाग कन्या सुलोचना से विवाह

रावण का पुत्र मेघनाद पराक्रमी योद्धा था। उसे इंद्रजीत के नाम से भी जाना जाता था। एकबार जब मेघनाद सभी लोक पर अपना विजय प्रतीक फैला रहा था, तब वह उस दौरान नागलोक भी पहुंचा था। नागराज वासुकी मेघनाद के पराक्रम को देखकर काफी प्रसन्न हुए। तब उन्होंने अपनी पुत्री सुलोचना का विवाह मेघनाद के साथ कर दिया था।

घटोत्कच का नाग कन्या अहिलावती से विवाह

महाभारत में भीम और हिडिम्बा का एक पुत्र हुआ था, जिसका नाम घटोत्कच रखा गया था। घटोत्कच का विवाह नाग कन्या अहिलावती से हुआ था। घटोत्कच और अहिलावती का एक पुत्र हुआ था, जिसका नाम बर्बरीक था। बर्बरीक एक महान योद्धा था।

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