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योगी सरकार के साढ़े 4 सालः बदमाशों पर कसी नकेल, 8472 एनकाउंटर, पूर्व डीजीपी ने कहा ऐसा कभी नही देखा !

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार को सत्ता संभालते हुए अब साढ़े चार पूरे हो चुके हैं। एक मुख्यमंत्री के तौर पर साढ़े चार साल का यह सफर तय करना उनके लिए आसान नहीं था। मुख्यमंत्री पद का भार उठाते हुए योगी आदित्यनाथ को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। योगी ने अपने कार्यकाल में सूबे को दंगा मुक्त बनाने के हर संभव प्रयास किए हैं।

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पुलिस भी बदमाश की गोली का जवाब गोली से ही देगी

मार्च 2017 में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार आई तो सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया कि बदमाश पुलिस पर गोली चलाएगा तो अब पुलिस भी बदमाश की गोली का जवाब गोली से ही देगी। जिसका नतीजा यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद से लेकर गाजीपुर तक लखनऊ से लेकर ललितपुर तक, पुलिस ने एनकाउंटर की लाइन लगा दी। उत्तर प्रदेश में मानो अब यह आम बात हो गई हो।

बता दें कि मार्च 2017 के बाद पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ की घटनाएं बढ़ी हैं। मार्च 2017 से जुलाई 2021 तक पुलिस और बदमाशों के बीच 8472 मुठभेड़ हुई हैं। जिसमे 146 बदमाश मारे जा चुके हैं। लेकिन 3302 बदमाश पुलिस की गोली का शिकार होकर घायल हो गए। बदमाशों के साथ मुठभेड़ में 13 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए। जबकि 1157 पुलिसवाले घायल हुए हैं।

अगर ज़ोन के आंकड़ों की बात करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जोन में सबसे ज्यादा 2839 मुठभेड़ हुईं। जिनमें 1547 बदमाश घायल हुए। 61 बदमाश मारे गए। आगरा ज़ोन में 1884 एनकाउंटर हुए तो 218 बदमाश पुलिस की गोली से घायल हुए।18 अपराधी मारे गए। बरेली जोन में 1173 एनकाउंटर हुए। जिनमें 299 बदमाश घायल हुए। 7 मारे गए और 2642 बदमाश गिरफ्तार किए गए।

एनकाउंटर पर सियासत

हालांकि, अब उनके आगे की सियासी चुनौतियां अब और भी मुश्किलों भरी होने वाली हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगले साल यूपी में 2022 का चुनाव योगी के कामकाज और उनके चेहरे को ध्यान में रखते हुए लड़ा जाएगा। जो उनके लिए सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा है। 2022 के चुनाव नज़दीक ही हैं और अभी से राजनीती गरमा रही है। सत्ताधारी बीजेपी इसे योगी सरकार का सुशासन बता रही है।

तो वहीँ विपक्षी दल इसे तानाशाही करार दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी आरोप लगा रही है कि उत्तर प्रदेश सरकार बदमाशों के साथ-साथ निर्दोषों का भी एनकाउंटर रही है। आम जनमानस में भय व्याप्त है। वो पुलिस जो आम जनता की रक्षा कवच है। वही पुलिस आज सवालों के घेरे में हैं। प्रदेश की जनता को कानून व्यवस्था के नाम पर सरकार और पुलिस डराना चाहती है।

आर्थिक तंत्र तोड़ा गया : पूर्व डीजीपी

पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद बृज लाल ने Live UP News 24 से पुलिस एनकाउंटर के इन आंकड़े पर मुख्यमंत्री योगी का समर्थन करते हुए कहा कि तीन दशकों से अधिक समय तक उन्होंने पुलिस प्रणाली को देखा है। तमाम सरकारें आईं और गईं लेकिन विकास के साथ-साथ कानून व्यवस्था पर जो काम योगी सरकार ने किया है वो कोई सरकार नहीं कर सकी।

पूर्व डीजीपी और राज्यसभा सांसद बृज लाल

ऐसा इसलिए है क्योंकि मुठभेड़ें तो पहले भी होती आई हैं लेकिन जो आर्थिक तंत्र तोड़ा गया वो उन्होंने सालों के करियर में कभी नहीं देखा। हज़ारों करोड़ों की सम्पत्तियां जो प्राइवेट-सरकारी सम्पत्तियों को हथिया कर, गरीबों को कुचल कर हासिल की गई थी उसपर कानूनी कार्रवाई कर बदमाशों से छीन ली गई। उन्होंने आगे कहा कि अन्य सभी सरकारों में जिन बदमाशों ने सफ़ेद चोला ओढ़ कर, माननीय बनकर हज़ारों-करोड़ों का गमन किया, उसपर योगी सरकार ने बखूबी हथोड़ा चलाया है।

हमारे यह पूछने पर कि बदमाशों को गोली अधिकतर पैर पर ही लग रही इसे लेकर जो सियासत चल रही है, इसे वह किस नज़रिए से देखते हैं ? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि गोली अगर पैर पर लग रही है तो वह पुलिस का काम करने का तरीका है जिससे वह अपराधी की जान बचा रहे हैं। अगर शरीर के किसी और अंग पर गोली चलाई जाएगी तो अपराधी की जान भी जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि कितने ही बदमाश मारे भी जा चुके हैं। कई पुलिस कर्मी भी इसमें घायल हुए हैं। उन्होंने कहा की पुलिस की पहली ज़िम्मेदारी होती है कि अपराधी की जान न जाए। यह कदम पुलिस मैन्युअल का ही हिस्सा है।

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