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अवधपति की नगरी में राष्ट्रपति

अयोध्या ( डॉ रामानंद शुक्ल )

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देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज अयोध्या पहुँच कर  अपने उद्बोधन में कहा कि  पर्यटन का विकास रामकार्य से जुड़ा है।आप सबके बीच आकर आह्लादित हूँ ।तुलसीदास जी ने लिखा है—रामकथा सुन्दर करतारी संशय विहग उड़ावनहारी।रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा है कि रामायण और महाभारत भारतीय जीवन मूल्यों के महदादर्श हैं ।मेरा मानना है कि रामायण विश्व -समुदाय के समक्ष भारतीय आदर्शों, मानवीय मूल्यों को प्रभावी ढंग से सुस्थापित करता है।
उन्होंने अपने उद्बोधन में अयोध्या को परिभाषित करते हुए कहा कि राम के बिना अयोध्या कहाँ? स अयोध्या यत्र राघवः।जहाँ राम सदा विराजमान एवं विद्यमान रहते हैं; वहीं अयोध्या है।अयोध्या का अर्थ है, जिससे युद्ध करना असंभव हो।संबोधन के क्रम को आगे बढाते हुए अपने विचारों को व्यक्त किया कि रामायण में निहित मूल्य -दर्शन, आदर्श और आचार संहिता हमारे पारिवारिक और सामाजिक जीवन के प्रत्येक पक्षों का पथप्रदर्शन करते हैं ।अपने वक्तव्य के सन्दर्भ-प्रसंग को गति प्रदान करते हुए कहा कि मानस में मानव का ईश्वरीकरण और ईश्वर का मानवीकरण आदर्श सामाजिक है।रामराज्य में —नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना।नहिं कोउ अबुध न लक्षण हीना।भेदभाव से रहित तत्समाज था।श्रीरामचरितमानस जनान्दोलन है।उसकी पंक्ति-पंक्ति प्रेरणा प्रदान कर ज्ञान का प्रकाश करती है।दैव दैव आलसी पुकारा ये सूक्तियाँ हमें जागृति प्रदान करके जीवन को गतिशील बनाती हैं ।अयोध्या और राम बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ।
उन्होंने अपने भाषण में वाल्मीकि के कतिपय श्लोकों को भी उद्धृत करने की कोशिशें कीं।रामकथा के विश्वव्यापी स्वरूप पर भी संक्षिप्त प्रकाश डाला।अपने नाम के आगे राम शब्द के संयोजन के पीछे अपने पूर्वजों की राम के प्रति प्रभूत आस्था -श्रद्धा संवलित सोच की अभिव्यक्ति उजागर करते हुए कहा कि रामकथा हमारे सम्बन्धों को सांस्कृतिक साहचर्य-सद्भाव और समरसता प्रदान करती है।हमारी वहन पद्मश्री मालिनी अवस्थी की सेवरी विषयक सराहनीय प्रस्तुति ने मन्त्रमुग्ध -भावविभोर कर दिया ।बहुत अच्छा लगा।
आदिवासियों – कोलभिल्लवनवासियों के साथ प्रभु राम की मैत्री समावेशी और अनुकरणीय है।अयोध्या को मानवसेवा का केन्द्र बताते हुए इसकी महत्ता -सत्ता एवं इयत्ता को रूपायित किया ।यह कामना व्यक्त की कि आगे भी अयोध्या सामाजिक समरसता की केन्द्र के रूप में विकसित होगी।सभी राम के मानवीय आचरण को अपने में उतारें इसकी अपेक्षा भी की।राम सबके हैं और राम सब में हैं इसी के साथ —-सीयाराममय सब जग जानी ।करऊँ प्रणाम जोरि जुग पाणी, तथा सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः से अपनी वाचा को विराम देने के पूर्व माननीय मुख्यमंत्री जी की पूरी टीम को बधाई देना नहीं भूले।ये शब्द -विमर्श हैं, भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी के! मौका था महामहिम के करकमलों द्वारा रामायण काँन्क्लेव के शुभारंभ एवं अयोध्या में पर्यटन विकास -योजनाओं के लोकार्पण का।
आयोजनस्थल के सन्निकट अयोध्या के नयाघाट स्थित रामकथापार्क के सटे उत्तरवाहिनी सरयू कलकल कल्लोल करती गतिमान हैं।एक तरफ सरयू का उफान शबाब (चरम)पर है तो दूसरी ओर जनसैलाब।यह वही स्थल है,जहाँ भारत सरकार का पूर्व केन्द्रीय कैबिनेट कभी उमड़ पड़ा था, रामचंद्र परमहंस के साकेतवास पर उन्हें अन्तिम विदाई देने के लिए ।ध्यातव्य है कि दिगम्बर अखाड़ा के महान्त प्रतिवादभयंकर परमहंस जी श्रीरामजन्मभूमि आन्दोलन के महानायक, शिखर शलाकापुरुष, सन्तसेनापति तथा प्रखरवक्ता थे।आज उत्तरप्रदेश का कैबिनेट, पूरे प्रशासनिक अमले के साथ राष्ट्रपति के आतिथ्य सत्कार में मनोयोग के साथ जुटा है।चिलचिलाती धूप और गर्मी से बेहाल मौसम भी अतिथि के अयोध्या आगमन के साथ-साथ मस्तमस्त सुहाना हो गया।इस अवसर पर जैसे पूरी अयोध्या अपने सांस्कृतिक वैभव के साथ मंचासीन हो गयी हो।
पर्यटन एवं संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्त्वावधान में यह समारोह आयोजित था।आज बन्दी दिवस न होने के बावजूद भी अयोध्या के सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान देश के प्रथम नागरिक के सम्मान में बन्द थे।समारोह में महिलाओं की भी सराहनीय सहभागिता थी।अयोध्या के मुख्य राजमार्ग पर लगभग आधा दर्जन स्थानों पर रामकथा से सम्बन्धित झाँकियों की मनोमुग्धकारी प्रस्तुति चित्ताकर्षक थी।सहभागी पात्रों का संवाद-स्वरूप प्रसंगानुकूल साजसज्जित नयनाभिराम और गायन-वादन श्रुतिरसपेशल था।
एक घंटे के कार्यक्रम का अथ-इति राष्ट्रगान से संपुटित और रोमांचक था।संभवतः भारत की आजादी के बाद श्री रामनाथ कोविन्द जी प्रथम राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने रामजन्मभूमि के चौखट पर मत्था टेका एवं श्रीरामलला का दिव्य दर्शन किया ।
प्रदेश के यशस्वी-तेजस्वी मुख्यमंत्री ने दीपप्रज्वलन, शंखध्वनि और घंटाघड़ियाल के नादनिनाद के पश्चात् रामनामांकित अंगवस्त्र समर्पित कर राष्ट्राध्यक्ष का सम्मान किया ।प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने शाल और वाराणसी साड़ी प्रदान करके श्रीमती सविता कोविन्द जी को सम्मानित किया ।परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण राष्ट्रपति ने रीमोट द्वारा आवरण हटा कर किया ।तत्पश्चात् अयोध्या के पौराणिक स्थलों का विमोचन सम्पन्न हुआ ।
प्रदेश के मुखिया महान्त आदित्यनाथ जी ने सलीके से मुखर होकर प्रसन्नचित्तमुद्रा में राष्ट्रपति महोदय सहित अन्य अतिथियों का सादर स्वागत-सम्मान किया। इस सुअवसर पर केन्द्र सरकार की राज्यमंत्री सुदर्शना जी भी समुपस्थित रहीं।अन्त में मुख्यमंत्री ने जै श्रीराम के उद् घोष के साथ अपने संक्षिप्त संबोधन का समापन किया ।
प्रदेश के संस्कृति मंत्री श्री नीलकंठ तिवारी ने भी भरपूर ओजस्वी वाणी में आगत मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया ।राज्यपाल ने अपने भाषण के क्रम में कहा कि अयोध्या राम की जन्मभूमि के साथ ही रामचरित मानस की भी रचनाभूमि है।जैनधर्म के पाँच तीर्थंकरों की भी उद्भवभूमि है।साथ ही गुरुगोविन्द सिंह और भगवान् बुद्ध के भी यहाँ वास से यह महत्वपूर्ण है।इसप्रकार राम का समन्वयकारी स्वरूप पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।उन्होंने दीपोत्सव और सूर्यवंशी राजाओं का भी नामोल्लेख किया ।विकास हेतु योगी जी को बधाई दिया।अयोध्या को विश्व के लिए आकर्षक और भव्य बताया।राष्ट्रपति के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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