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पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को लिया आड़े हाथ, कठघरे में खड़ा कर पूछे ये सवाल, जांच के लिए कमिटी गठित

नई दिल्ली: पेगासस मामले (Pegasus Case) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार (Central Government) को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच होगी जिसके लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का भी गठन कर दिया गया है। कोर्ट का कहना है कि केंद्र का इस मामले को लेकर कोई भी साफ़ स्टैंड नहीं था। इस मामले में निजता का जो उल्लंघन हुआ है उसकी जांच होनी चाहिए।

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बता दें कि बुद्धवार सुबह साढ़े दस इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए CJI एनवी रमना ने कई बड़े फैसले लिए। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब 8 हफ्ते बाद सुनवाई करेगी। जिस कमिटी का गठन किया गया है कोर्ट ने उसे जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा है। आज कोर्ट ने सख़्त लहजे में कहा कि जब सवाल लोगों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हो तो हम मूकदर्शक बनकर नहीं बैठे रह सकते, हमने सरकार को जवाब के लिये मौका दिया, लेकिन जवाब नहीं आया।

फैसला सुनाते हुए CJI एनवी रमना (NV Ramana) ने कहा कि हमने लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के हनन से बचाने से कभी परहेज नहीं किया। निजता केवल पत्रकारों और नेताओं के लिए नहीं, बल्कि ये आम लोगों का भी अधिकार है। याचिकाओं में इस बात पर चिंता जताई गई है कि प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है ? प्रेस की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण है, जो लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ है, पत्रकारों के सूत्रों की सुरक्षा भी जरूरी है।

CJI एनवी रमना आगे कहते हैं कि इस मामले में कई रिपोर्ट थीं। केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। तकनीक जीवन को उन्नत बनाने का सबसे बेहतरीन औजार है, हम भी ये मानते हैं। जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है, उनमें संतुलन भी जरूरी है। तकनीक पर आपत्ति, सबूतों के आधार पर होनी चाहिए। प्रेस की आजादी पर कोई असर नहीं होना चाहिए। उनको सूचना मिलने के स्रोत खुले होने चाहिए। उन पर कोई भी नहीं होनी चाहिए।

इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जिस कमेटी का गठन किया है, उसमें जस्टिस आरवी रविंद्रन, पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज आलोक जोशी, पूर्व IPS संदीप ओबेराय शुमार हैं। इसके अलावा तीन तकनीकी सदस्य भी इस लिस्ट का हिस्सा हैं। तकनीकी समिति में जो तीन सदस्य शामिल होंगे उनके नाम डॉ नवीन कुमार चौधरी, डॉ प्रबहारन पी और डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते हैं। डॉ नवीन कुमार चौधरी प्रोफेसर (Cyber ​​Security and Digital Forensics) और डीन, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय हैं। वहीं अगर डॉ प्रबहारन पी की बात करें तो वह प्रोफेसर (engineering school), अमृता विश्व विद्यापीठम, अमृतापुरी, केरल हैं। डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते महारष्ट्र के मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर (computer science and engineering) हैं।

बता दें कि चीफ जस्टिस एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत (Justice Surya Kant) और न्यायमूर्ति हिमा कोहली (Justice Hima Kohli) की पीठ ने 13 सितंबर को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ह केवल यह जानना चाहती है कि क्या केंद्र ने नागरिकों की कथित जासूसी के लिए अवैध तरीके से पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं ? 13 सितंबर को फैसला सुरक्षित करने के बाद, 23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की जानकारी दी थी कि वो पेगासस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन करेगा।

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