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नोटबंदी की पांचवी बरसी पर जानें देश को इससे हुआ फायदा या नुकसान?

लखनऊ

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‘नोटबंदी’ या ‘Demonetization’ यह शब्द सुनते ही हमारे अंदर कई सारे प्रश्न उठने लगते हैं और उस वक़्त की तकलीफें भी याद आने लगती हैं जो आम आदमी को हुई थीं। यह मोदी सरकार (Modi Government) का ऐसा फैसला था, जिससे देश के हर वर्ग के व्यक्ति का सामना हुआ। आज से पांच वर्ष पहले आठ नवम्बर 2016 को देश के प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था।

फोटो : इंटरनेट

नोटबंदी की खबर सुनते ही पूरे देश में हड़कंप मच गया। चारों ओर अफरा-तफरी थी, अब क्या होगा, कैसे काम चलेगा? ऐसे सवाल सभी के मन में उठने लगे। हालांकि पीएम मोदी ने सभी को अपने पुराने नोटों को बदलने का समय दिया था। फिर क्या था बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगने लगी। आज भी लोग जानना चाहते हैं कि आखिर क्या फायदा हुआ नोटबंदी से और भी कई सवाल लोगों के दिमाग में घर किए हुए हैं। चलिए अब जानते हैं उन्हीं कुछ सवालों के जवाब।

क्या है नोटबंदी ?

आज से ठीक पांच वर्ष पहले आठ नवंबर 2016 को रात के आठ बजे हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अचानक से 500 और 1000 रुपये के इंडियन करेंसी (Indian Currency) को चलन से बाहर कर दिया और उनके लीगल टेंडर या वैध मुद्रा नहीं होने का ऐलान किया था। नोटबंदी को विमुद्रीकरण भी कहा जाता है। नोटबंदी का मतलब होता है कि जब देश में सरकार द्वारा बड़े नोटों को बंद या उनके उपयोग पर प्रतिबंध या रोक लगा दी जाए। जिसके बाद से वो करेंसी किसी भी काम की नहीं रह जाती है। ना ही हम उसे कोई लेन-देन कर सकते हैं और ना ही कुछ खरीद सकते हैं। उस रात के बाद से पूरे देश में 500 और 1000 के नोट बस कागज के टुकड़े मात्र ही रह गए थे।

फोटो : इंटरनेट

क्यों हुई थी नोटबंदी?

जब सरकार द्वारा नोटबंदी की गई, उसके बाद से कई सवाल लोगों के मन में खड़े हुए कि आखिर ऐसा क्यों किया गया या इससे क्या फायदा हुआ? जिसके बाद मोदी सरकार ने नोटबंदी करने के पीछे कई कारण बताए। सबसे महत्वपूर्ण वजह उन्होंने काले धन का खात्मा बताया। इसके साथ ही देश में नकली नोटों के चलन को खत्म करना, कैशलेस इकॉनमी को बढ़ावा देना और आतंकवाद व नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने हेतु नोटबंदी का फैसला लिया गया था।

क्या मिला लाभ?

नोटबंदी से क्या और कितना लाभ मिला, इसका सीधा और सही उत्तर तो शायद किसी को नहीं पता, परन्तु सरकार का कहना है कि इसके बाद से टैक्स कलेक्शन को बढ़ावा मिला और काला धन सिस्टम में वापस आ चुका है। बता दें कि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के अनुसार नोटबंदी के समय बंद हुए पुराने नोटों में से 99.30 फीसदी 500 और 1000 के पुराने नोट वापस आ चुके हैं।

फोटो : इंटरनेट

इससे पहले भी हुई है नोटबंदी

हमारे देश में 2016 से पूर्व भी नोटबंदी हुई है। सबसे पहले वर्ष 1946 में अंग्रेजों द्वारा नोटबंदी की गई थी और उसके बाद वर्ष 1978 में मोरारजी देसाई सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था।

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