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एक नही, दो नही, 400 से ज़्यादा बार हुआ रेप, नाबालिक की आपबीती सुनकर नहीं रुकेंगे आंसू !

मुंबई/लखनऊ : निर्भया, ये शब्द सुनते ही हर भारतीय के दिमाग में 16 दिसंबर 2012 की वो काली रात आ जाती है। दिमाग में एक ऐसी छवि बन जाती है, जहां एक लड़की खून से लतपत नज़र आती है। एक बेबस मां इन्साफ की गुहार लगाती दिखती है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि क्या निर्भया सिर्फ वही है जो मर गई? क्या हम सब हमेशा किसी निर्भया के मरने का ही इंतजार करते रहेंगे? इंतज़ार करेंगे कि पहले कोई मरे, क्योंकि तभी तो हमारा गुस्सा जागेगा और तभी तो हम सड़कों पर मोमबत्तियां लेकर निकलेंगे। क्यों कोई उन ज़िंदा निर्भया का ख्याल नहीं करता जो हमारे देश के हर कोने के हर गली में हर रोज़ सिसक रही हैं? लेकिन उनकी सिसकियों की आवाज़ हर बार किसी बड़े नाम के नीचे दब कर रह जाती है।

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400 बार हुआ नाबालिक का रेप

400 बार हुआ नाबालिक का रेप

कलेजा फट जाता है। दिल और दिमाग काम करना बंद कर देता है। सोचने-समझने की शक्ति ख़त्म हो जाती है। लाख यकीन दिलाऊं खुद को लेकिन दिल इस बात पर यकीन ही नही कर पता है कि हमारे देश के एक हिस्से में 16 साल की एक ऐसी नाबालिग सांस ले रही है, जिसे अब ठीक तरह से याद भी नहीं कि उसकी आबरू को कितनी बार लूटा जा चुका है। अरे गिनती तो बहुत दूर की बात है, शायद उसे उन इंसानी रूप में घूम रहे हैवानों के सारे चेहरे भी याद नहीं होंगे। फिर भी ज़हन और जख्म पर ज़ोर डालने पर उसे याद आता है कि कुछ नहीं तो कम से कम 400 बार तो उसकी अस्मत को नोचा-खसोटा गया ही है। जी हां, 400 बार। दरिंदगी का यह सालों पुराना क़िस्सा महाराष्ट्र (Maharashtra) के बीड (Beed) की नई पोशाक पहन कर एक बार फिर हमारी अंतरात्मा पर करारा तमाचा जड़ने के लिए सामने आया है।

400 बार हुआ नाबालिक का रेप

पुलिस भी है शामिल

अब आप सोचेंगे कि इतना सब होते हुए भी पुलिस के पास क्यों नहीं गई ? गई थी जनाब, वो पुलिस के पास भी गई थी। लेकिन ये जो 400 दरिंदों के बारे में अभी मैंने आपको बताया है। इस लिस्ट में कुछ वर्दीधारी हैवान भी शामिल हैं।

आपबीती सुनकर उड़ जाएंगे होश

रूह को अंदर तक झकझोर देने वाली ये घटना महाराष्ट्र के बीड जिले के अंबाजोगाई (Ambajogai) की है। नाबालिक जब आठ साल की थी तभी मां गुजर गई। सातवीं क्लास के बाद से स्कूल भी छुड़वा दिया गया। महज़ 13 साल की उम्र में बाप ने बोझ समझते हुए, 33 साल के शख्स से जबरन उसकी शादी करवा दी। शादी के बाद पति 13 साल की मासूम के साथ जबरदस्ती करने लगा। उसे मारता-पीटता रहा। वहीं सास की प्रतड़ना उसे अलग झेलनी पड़ती थी। जुल्म की सभी हदें जब पर हो गईं तो उसके पैर बाप की देहलीज़ की ओर बढ़ गए। लेकिन बाप ने भी उसे खुद से ऐसे अलग कर दिया जैसे कोई दामन से मिटटी को झाड़ देता है। बेबस, बेसुध हालत में जब घर से निकली तो बस स्टॉप पर पहुंचं गई। नौकरी मांगी तो बदले में उससे उसकी अस्मत मांग ली गई।

400 बार हुआ नाबालिक का रेप

उसकी गरीबी और मजबूरी का भूखे वहशियों ने भरपूर फायदा उठाया। जब इज्जत तार-तार हुई तो वह मदद के लिए अंबाजोगाई पुलिस के पास पहुंची। पुलिस ने उसकी मदद तो नहीं की, लेकिन हां, उसके साथ हुए बलात्कार की गिनती में इजाफा ज़रूर कर दिया।

बाल कल्याण समिति रख रही ख़याल

पूरे छह महीने तक दिन-रात उसकी अस्मत लूटी जाती रही और हर कोई अंधा, गूंगा और बहरा बना यह तमाशा देखता रहा। फ़िलहाल यह नाबालिक आठ महीने की गर्भवती है। लेकिन खबर आ रही है कि बाल कल्याण समिति कानूनी तरीके से पीड़िता का गर्भपात कराने की तैयारी करा रही है। ऐसे तो शायद यह खबर कभी सामने न आ पाती। मगर किसी भले शख्स ने पीड़िता की कहानी सुनी और उसे बाल कल्याण समिति तक पहुंचा दिया। वहीं उसने अपनी आप बीती सुनाई।

शुरू हुई मामले की जांच

ख़बर यह भी सामने आ रही है कि इस मामले की गूँज मुंबई (Mumbai) तक सुनाई दे रही है। पुलिस भी अब मजबूरी में ही सही लेकिन जांच में जुट गई है। नौ लोगों के खिलाफ अंबाजोगाई ग्रामीण पुलिस में केस भी दर्ज हो चुका है।

400 बार हुआ नाबालिक का रेप

जैसे-जैसे यह कहानी लोगों को पता चल रही है उनका गुस्सा जाग रहा है। ठीक वैसे ही जैसे निर्भया के वक्त हुआ था। निर्भया के बाद पूरे देश में जो ग़म और ग़ुस्से का माहौल था। वो तब पहली बार था जब हमने अपने गिरेबान में झांककर देखने की कोशिश की थी। 2012 के 16 दिसंबर को जब पहली बार निर्भया का जिक्र छिड़ा था, तब से लेकर अब तक दावों और वादों की बारिश में कोई कमी नहीं आई है। लेकिन ज़मीनी स्तर इन मामलों के लिए क्या ही किया गया है ये हम सब जानते हैं। न सरकार जाग रही है और ही जनता खुद। दरिंदगी का कैंसर आखिरी ऑपरेशन की मांग कर रहा है। लेकिन अब तक कोई स्पेशलिस्ट मिला ही नहीं पाया है। बस जब भी इस तरह की वारदातें सामने आती हैं तो सियासत की कुर्सियां सम्हालने वाले हुकूमत की रोटियां सेकने लगते हैं। बातूनी नेताओं और अफलातूनी पुलिस का जज़्बा अचानक से जाग जाता है। लेकिन हर बार बात यहीं रुक जाती है कि कैसे, कब और कौन इन वारदातों पर लगाम लगाएगा ?

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