Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu
Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu

Ayodhya : जानिए आखिर 6 दिसंबर की तारीख आयोध्या मामले में क्यों है महत्वपूर्ण?

लखनऊ/अयोध्या

- Advertisement -

वर्षों पुराना अयोध्या विवाद (Ayodhya) सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के फैसले के बाद निपट गया। कोर्ट के विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या (Ayodhya) में ही कहीं 5 एकड़ की जमीन देने के फैसले को सभी ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया। करीब 500 साल पुराना अयोध्या विवाद तो सुलझ गया, लेकिन इस मामले में 6 दिसंबर 1992 को शायद ही कभी भुलाया जा सके।

फोटो : इंटरनेट

दरअसल, 29 वर्ष पूर्व 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित जमीन पर बनी बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। असंख्य की संख्या में मौजूद हिंदू कार सेवकों की भीड़ ने मस्जिद के ढांचे को ढहा दिया था। जिसके बाद कई जगह सांप्रदायिक दंगे हुए और सैकड़ों कारसेवक व आडवाणी (Lal Krishna Advani), कल्याण सिंह (Kalyan Singh) सहित अनेक बीजेपी (BJP) नेताओं पर केस दर्ज हुआ था। उस समय राज्य के मुखिया की कमान कल्याण सिंह के हाथों में थी।

लाखों की संख्या में पहुंचे थे कारसेवक

फोटो : इंटरनेट

बता दें कि 6 दिसंबर 1992 की सुबह करीब साढ़े दस बजे हजारों-लाखों की संख्या में कारसेवक पहुंचने लगे। हर किसी के मुंह पर जय श्री राम के नारे थे। भीड़ हिंसक व उन्मादी हो चुकी थी। विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल, कारसेवकों के साथ वहां मौजूद थे। थोड़ी ही देर में उनके साथ बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) व लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) भी आ गए थे। भारी सुरक्षा के बीच सभी लगातार बाबरी विध्वंस की तरफ बढ रहे थे, लेकिन पहली कोशिश में पुलिस इन्हें रोकने में कामयाब हो जाती है।

कारसेवकों पर गोली नहीं चलेगी : कल्याण सिंह

दोपहर करीब 12 बजे कारसेवक एक बार फिर मस्जिद की तरफ आगे बढने लगे। इस बार कारसेवकों की भीड़ मस्जिद की दीवार पर चढ़ने लगती है। लाखों की भीड़ में कारसेवक मस्जिद को अपने हाथों में ले लेते हैं। पुलिस अधिकारी भी वहां खड़े देखते रह जाते हैं। क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री (Chief MInister) कल्याण सिंह का साफ आदेश था कि कारसेवकों पर गोली नहीं चलेगी। शाम होते-होते मस्जिद को पूरी तरह से विध्वंस कर दिया गया। भीड़ ने उसी जगह पूजा अर्चना की और राम-सीता की मूर्ति की स्थापना कर दी गई।

फोटो : इंटरनेट

उस समय लालकृष्ण आडवाणी की सुरक्षा का जिम्मा 1990 बैच की आईपीएस अधिकारी अंजु गुप्ता के हाथों में थी। आईपीएस गुप्ता ने बताया कि उस दिन आडवाणी को मंच से सुनने के बाद कारसेवक और उग्र हो गए थे। उन्होंने बताया कि वह करीब छह घंटे तक मंच पर मौजूद थीं और सारे नेताओं का भाषण सुना था। बाबरी मस्जिद विध्वंस के 29 साल बाद मामला शांत हो गया है। माना जाता है कि राम मंदिर की सांकेतिक नींव बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना ने ही रखी थी।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें