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उत्तराखंड के इन मंदिरो में छोटे कपड़ो में प्रवेश वर्जित, जाने क्या कहा महंत पूरी ने !

Uttarakhand News: भारत एक ऐसा देश है जिसमें अनेको धर्म और जातीया पाई जाती है, और सभी धर्मो की अपनी अलग अलग मान्यता है. जैसे यदि आप गुरुद्वारे में जाते है तो आपका सिर ढका हुआ होना चाहिए, अगर आप मस्जिद जाते है तो आपका शरीर सही ढंग से ढका हुआ होना चाहिए। ऐसी ही एक बड़ी खबर उत्तराखंड के कुछ जिलों से आ रही है जहाँ उचित कपड़े नहीं पहनने वाले भक्तो पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है और साथ ही लोगो से मर्यादित कपड़े पहनने लिए लोगो से अपील की गयी है।

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पुरी ने कहा, ‘‘प्रत्येक सोमवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. आज के युवा, मंदिरों में ऐसे कपड़े पहन कर आते हैं जो शुचिता के प्रति उनकी उपेक्षा को दर्शाता है.’’ उन्होंने कहा कि ऐसे वस्त्रों से ‘‘श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है’’ और वे अकसर मंदिर समिति से इसकी शिकायत करते हैं. उन्होंने कहा कि लगातार मिल रही शिकायतों के आधार पर यह प्रतिबंध लगाया गया है और प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा.

 

 

 

उत्तरखंड स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर (हरिद्वार), नीलकंठ महादेव मंदिर (ऋषिकेश) और टपकेश्वर महादेव मंदिर (देहरादून) में छोटे कपड़ो में आने वाले भक्तों पर रोक लगा दी गयी है। महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने औपचारिक बंदी की घोषणा करते हुए की कहा, “केवल महिलाएं जिनके शरीर 80% तक ढके हुए हैं, वे ही इन मंदिरों में प्रवेश कर सकती हैं।” प्रतिबंध शुरू में महानिर्वाणी पंचायती अखाड़ा से संबद्ध मंदिरों पर लगाया गया है, जिसमें दशनाम नागा संत शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध जल्द ही देश भर में अखाड़े से संबद्ध अन्य मंदिरों में भी लागू किया जाएगा।

 

 

 

 

प्रतिबंध लगाने के संदर्भ में पूछे जाने पर, पुरी ने कहा, “कभी-कभी मंदिरों में प्रवेश करने वाले लोग ऐसे कपडे पहने होते हैं कि उन्हें देखने में भी शर्म आती है।” हालाकि कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार में भी ऐसा ही फैसला लिया गया था। नागपुर में स्थित चार मंदिरों में एक “वस्त्र संहिता” या ड्रेस कोड पेश किया गया था। महाराष्ट्र में मंदिरों के एक संघ, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ ने राज्य भर के मंदिरों के लिए यह ड्रेस कोड का दिशानिर्देश तैयार किया है।

 

 

 

ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय फरवरी में जलगाँव में हुवे महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट परिषद की बैठक के दौरान किया गया था। महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक  सुनील घनवत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से सरकार द्वारा नियंत्रित मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू करने का अनुरोध व्यक्त किया।

 

 

 

इस प्रतिबंध का हरिद्वार के संतों ने समर्थन किया है. कथा व्यास मधुसूदन शास्त्री का कहना है, ‘‘मंदिरों की शुचिता एवं पवित्रता बनाए रखनी चाहिए और (मंदिर) परिसर में लोगों को उचित व्यवहार करना चाहिए. यह प्रतिबंध सनातन धर्म के अनुरुप है.

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