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G20 में PM मोदी के आगे नेम प्लेट पर ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ लिखा, तो क्या देश का बदल गया नाम?

इंडिया के राष्ट्रपति के बजाय ‘भारत के राष्ट्रपति’ के नाम पर भेजे गए G20 रात्रिभोज के निमंत्रण को लेकर मंगलवार को केंद्र और विपक्षी दलों के बीच विवाद और बहस जारी है. देश का नाम बदलने के पक्ष में लोगों ने कहा कि भारत शब्द देश के इतिहास और संस्कृति में गहराई से बसा हुआ है. संविधान के अनुच्छेद-1 में लिखा है, ‘इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा’. इस लाइन की व्याख्या राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने हिसाब से कर रही हैं. और इसी इंडिया और भारत को लेकर राजनैतिक दलों में घमाशान छिड़ा हुआ है

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तो वही जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के सामने देश का नाम ‘भारत’ लिखा नजर आया है जहा एक तरफ देश का नाम बदले जाने को लेकर राजनीतकि दलों ने सियासत तेज है किसी देश की आधिकारिक मीटिंग में उस देश के राष्ट्राध्यक्ष के आगे देश के नाम का जिक्र किया जाता है। इस बार पीएम मोदी के आगे ‘इंडिया’ के बजाए अंग्रेजी में ‘भारत’ लिखा हुआ नजर आया, जो इस चर्चा को एक बाद फिर हवा दे रहा है कि देश का नाम बदला गया है। हालांकि, सरकार की तरफ इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

अगर इतिहास की बात करे तो प्राचीनकाल से ही भारत देश के अलग अलग नाम रहे है जैसे जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया, लेकिन इन सभी में सबसे ज्यादा ‘भारत’ नाम ही बोला गया है. साथ ही देश के नामकरण को लेकर सबसे ज्यादा धारणाएं और तर्क भी भारत को लेकर ही हैं.

 

 

जो लोग इंडिया शब्द के खिलाफ हैं उनका कहना है कि ‘भारत’ का प्राचीन नाम यही था. जो हिंदू धर्मग्रंथ महाभारत में भी देखने को मिलता है. लेकिन एक ये भी कहानी मानी जाती है की ‘भारत’ नाम किसी व्यक्ति विशेष का न होकर एक जाति-समूह का था जानकारों का मानना है कि ‘भारत’ नाम की उत्पत्ति की कई कहानियां हैं. एक परिभाषा ये है कि इसे संस्कृत के शब्द “भ्र” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “सहन करना” या “पालन करना”. इस संदर्भ में, ‘भारत’ को धर्म (धार्मिकता) और सभ्यता को कायम रखने या साथ देने वाली भूमि के रूप में समझा जा सकता है.

 

 

हालांकि अब भी देश के नाम पर कई शोध चल रहे हैं. शोधकर्ता अभी भी इसके इतिहास की तलाश में जुटे हुए हैं. वहीं अब संविधान में इसे बदले जाने के लिए इसके पक्ष में लोग अपनी अलग राय दे रहे हैं. तर्क देने वाले भी पुस्तकों में इसके अलग-अलग प्रमाणों की तलाश कर रहे हैं.सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की ओर से जारी निमंत्रण पत्र खासा वायरल हो रहे हैं. विपक्षी पार्टीयों का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी विपक्षी गठबंधन से डर गई हैं, तो वहीं सत्तापक्ष के नेताओं का कहना है कि ‘भारत’ शब्द के इस्तेमाल में कुछ भी गलत नहीं है.

 

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