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55 साल बाद फिर दोहराया इतिहास दिल्ली में बढ़ेगा यूपी का रौला,एक ही राज्य से होंगे पीएम और नेता विपक्ष!

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों से पहले चुनावी विश्र्लेषकों और पंडितों से लेकर खुद भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जीत का अनुमान जताया था। लेकिन पार्टी चुनाव में बहुमत तक हासिल नहीं कर सकी। वह बहुमत हासिल करने के लिए 32 सीटों से चूक गई और इस बार 240 सीट ही जीतने में कामयाब रही। इस तरह 2019 के चुनाव की तुलना में बीजेपी को 63 सीटों का नुकसान हुआ है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 293 सीटें मिली हैं जबकि दूसरी तरफ विपक्षी इंडिया गठबंधन ने पिछले चुनाव की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे देश को वापस गठबंधन के युग में ले आए हैं।

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सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी चुने गए नेता
अब बीजेपी को अपनी दो प्रमुख सहयोगी पार्टियों नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और टीडीपी के नेतृत्व में NDA सरकार का गठन होने जा रहा है। वहीं बीजेपी पार्टी नीत राष्ट्रय जनतांत्रिक गठबंधन में नेता चुना जा चुका है, और अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लोकसभा में विपक्ष का नेता चुनने की प्रक्रिया जारी है। एक तरफ NDA ने जहां सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता और प्रधानमंत्री पद के लिए चुना है तो वहीं कांग्रेस में प्रस्ताव पास कर राहुल गांधी से आग्रह किया गया है कि वह लोकसभा में नेता विपक्ष का जिम्मा संभालें. अगर ऐसा होता है तो राहुल गांधी, अपने पिता और भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के नक्शे कदम पर चलते दिखेंगे।

 

देश का प्रधानमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष एक ही राज्य से
साल 1952 के बाद से आज तक दो बार ऐसा हुआ है जब देश का प्रधानमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष एक ही राज्य से हो. साल 1969 तक लोकसभा में नेता विपक्ष को आधिकारिक दर्जा नहीं दिया जाता था.साल 1989 में ऐसा पहली बार हुआ जब देश के पीएम और लोकसभा में नेता विपक्ष एक ही राज्य से थे. जब 1989 के चुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने देश के सातवें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. उस सरकार में वीपी सिंह की अगुवाई वाले जनता दल को भारतीय जनता पार्टी और सीपीआईएम ने बाहर से समर्थन दिया. हालांकि कांग्रेस उस वक्त सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसे 197 सीटें मिलीं थीं लेकिन तत्कालीन कांग्रेस नेता राजीव गांधी ने विपक्ष में रहने का फैसला किया. इतना ही नहीं वह खुद सदन में नेता विपक्ष रहे. राजीव गांधी 18 दिसंबर 1989 से 23 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रहे. एक ओर जहां वीपी सिंह यूपी के फतेहपुर से सांसद थे, तो राजीव गांधी अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

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