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चुनावी मैदान से क्यों गायब है यूपी के दो डॉन- मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद? ये है वजह

उत्तर प्रदेश/लखनऊ

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एक वक्त था जब उत्तर प्रदेश दो बाहुबलियों का डंका बजता था। लोग उनके नाम पर ही वोट देने को तैयार हो जाया करते थे, लेकिन अब आलम ये है कि इस बार के चुनावी संग्राम में यूपी के डॉन यानी कि अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का अता पता ही नहीं है।

यूपी के दो माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। हैरान कर देने वाली बात यह है कि, कोर्ट से चुनाव लड़ने के आदेश मिलने के बाद भी मुख्तार ने चुनावी रण छोड़ दिया है। पहली बार चुनावी इतिहास में ऐसा हुआ कि दोनों बाहुबलियों ने चुनाव मैदान को छोड़ दिया है। अचानक मुख्तार और अतीक का मन क्यों बदल गया। कहीं इसके पीछे की वजह योगी का डर या फिर विरासत को आगे बढ़ाने की कवायद तो नहीं है।
बता दें कि मऊ सदर से सपा के पूर्व प्रत्याशी अल्ताफ अंसारी को सपा से टिकट नहीं मिला था इस लिए इन्होंने निर्दलीय नामांकन कर रखा है।

पिछली बार अल्ताफ के घोसी से चुनाव लड़ने के कारण मुख्तार के लिए मुकाबला और कठिन हो गया था। सपा के एक बड़े नेता ने बताया कि पार्टी यदि मुख्तार अंसारी को टिकट देती तो इसका सीधा असर पूरे पूर्वांचल पर होता। चुनाव हारने का भी खतरा बढ़ गया था, भारतीय जनता पार्टी जो कि सपा पर कानून- व्यवस्था को लेकर पहले से ही हमलावर है, जिससे और आक्रामक होने का मौका मिल जाता।

चुनाव आयोग के कड़े निर्देश देने के कारण भी पार्टियों के प्रत्याशियों पर चल रहे मामलों का खुलासा तुरंत करना होगा। यह चुनाव आयोग का बड़ा प्रभाव होगा। इसके लिए अखबारों में विज्ञापन देने तक के निर्देश हैं। इससे सपा की स्थिति कमजोर होती। भारतीय जनता पार्टी के तंज कसने पर इसका असर पूर्वी उत्तर प्रदेश की करीब सौ सीटों पर असर पड़ता है। यदि मुख्तार अंसारी की जगह टिकट मिलता तो सारा मामला सेट रहता क्योंकि बीजेपी के द्वारा प्रचार किया भी जा रहा है कि बाप और बेटे में अंतर क्या है? यूपी के वरिष्ठ पत्रकार परवेज अहमद का कहना है, कि मुख्तार अंसारी के ऊपर कई संगीन केस दर्ज होने कारण उन्हें टिकट मिलना भी मुश्किल था।

विरासत बेटे को सौंप किंग मेकर बनेंगे मुख्तार

ऐसा माना जा रहा है कि विधायक मुख्तार अंसारी ने अपनी सियासी विरासत अपने बेटे अब्बास अंसारी को सौंप दी है, अब्बास इस बार (सुभासपा) सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से टिकट मिलने पर चुनावी संग्राम में खड़े है और अब्बास 2017 में घोसी सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। जिस सीट से भारतीय जनता पार्टी के फागु चौहान को हार का सामना करना पड़ा था और पृष्टभूमि के रूप में डॉन मुख्तार अंसारी किंग मेकर के रूप में भूमिका निभाएंगे।

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