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नई भर्ती व एलटीसी पर रोक के बाद अब कर्मच‍ारियों के यात्रा भत्ते सहित अन्य मदों में कटौती की तैयारी

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा सरकार कोरोना महामारी से पैदा आर्थिक संकट से निपटने में जुटी हुई है। हरियाणा सरकार ने राज्‍य के नई भर्तियों पर रोक लगाने और एलटीसी बंद करने के बाद अब सरकारी कर्मचारियों के  अन्‍य भत्‍तों में कटौती के संकेत दिए हैं। सरकार कर्मचारियों के यात्रा भत्‍ते में भी कटौती कर सकती है। इससे पहले सरकार ने राज्‍य में एक साल तक कर्मचारियों का महंगाई भत्ते पर भी रोक लगा चुकी है।

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आर्थिक संसाधन जुटाने को सरकार ने कर्मचारियों से मांगे सुझाव

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चार बड़ी यूनियनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक में इसके संकेत दिए। बैठक में कई मुद्दे उठे। फरीदाबाद से सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान सुभाष लांबा और वरिष्ठ उपप्रधान नरेश कुमार शास्त्री, रोहतक से हरियाणा कर्मचारी महासंघ के राज्य महासचिव वीरेंद्र सिंह धनखड़ और वित्त सचिव दिलबाग सिंह अहलावत, सिरसा से हरियाणा राज्य कर्मचारी संघ के प्रांतीय संयोजक कृष्ण पाल गुर्जर और उपाध्यक्ष राम सिंह तथा अंबाला छावनी से भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री हनुमान गोदारा तथा उप महासचिव सुनील कुमार ने अपनी अपनी बात रखी।

सर्व कर्मचारी संघ के प्रधान सुभाष लांबा ने बताया कि सरकार कर्मचारियों के डीए, एलटीसी और अन्य भत्तों को काटने के फैसले पर कायम है। कुछ और भत्तों में भी कटौती हो सकती है। हमने सरकार को सुझाव दिया कि डीए अगर डेढ़ साल के बाद भी मिले तो हमें स्वीकार है, लेकिन हमारी बात नहीं मानी गई। उन्होंने कहा कि आर्थिक संकट से बचने के लिए पूंजीपतियों पर टैक्‍स लगाए जा सकते हैं।

जीपीएफ निकालने पर लगी रोक

बैठक के दौरान पता चला कि प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के जीपीएफ निकालने पर रोक लगा दी है। कर्मचारी संगठनों ने सुझाव दिया कि अनुबंध पर लगे कर्मचारियों के बीच से ठेकेदार हटा दिए जाएं तो करोड़ों रुपये की बचत होगी। सर्व कर्मचारी संघ ने सुझाव दिया कि चूंकि एक साल के लिए भर्तियां बंद कर दी गई हैं, इसलिए इस दौरान वर्कलोड को देखते हुए कर्मचारी भी रिटायर नहीं किये जाएं। इस दौरान 12 महकमे के कर्मचारियों को सेलरी नहीं मिलने का मुद्दा उठा जिस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्द ही यह वेतन जारी कर दिया जाएगा। कर्मचारी संघ ने कई विभागों से कच्चे कर्मचारियों को निकालने पर भी आपत्ति जताई।

कोरोना रिलीफ फंड में ट्यूबवेल कर्मचारी देंगे पांच दिन का वेतन

कोरोना रिलीफ फंड में ग्रामीण ट्यूबवेल कर्मचारी पांच दिन का वेतन देंगे। प्रदेश में अभी तक 5200 गामीण ट्यूबवेल ऑपरेटर को 4600 रुपये मासिक मिल रहे थे जिन्हेंं अप्रैल से न्यूनतम वेतन के अनुसार करीब दस हजार रुपये मिलेंगे। इसके लिए पांच करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

बैठक के दौरान एनएचएम कर्मचारियों को एकमुश्त वेतन देने का भी मुद्दा उठा जिस पर सरकार ने सहानुभूति पूर्वक विचार करने की बात कही है। सभी कर्मचारी संगठनों ने एक सुर में कहा की पुरानी पेंशन स्कीम चालू कर दी जाए तो करोड़ों रुपये सरकार के खाते में आ जाएंगे।

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