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विकास दूबे का रसूखनामा….

लखनऊ
2008 में मायावती मुख्यमंत्री थी तो उन्होंने सभी छोटे बड़े अपराधियो पर कारवाई के लिए सभी थाना क्षेत्रों से अपराधियो की लिस्ट मंगवाई थी लेकिन हत्या,वसूली,हत्या के प्रयास, अपहरण जैसे 43 केस होने के बाद भी लिस्ट में विकास दुवे का नाम नही था ।बिकास दुवे का दावा था कि मुख्यमंत्री मायावती उसे नाम से जानती है और 100 लोगो की भीड़ में भी उसे नाम लेकर पुकार लेंगी ।इसके बाद सत्ता भी बदली और निजाम भी बहुजन समाज पार्टी के बाद समाजवादी पार्टी सत्ता में आ गई लेकिन यहां की विकास दुबे ने अपनी गणित सेट कर ली और अपनी पत्नी को सत्ता में आई इस पार्टी से चुनाव लड़वा दिया इसीलिए यूपी में है दम क्योंकि जुर्म है यहां कम का नारा देने वाली सपा की साइकिल के सामने पुलिस की जीप कमजोर पड़ गई हालांकि विकास दुबे पर उस समय 70 से अधिक मुकदमे चल रहे थे लेकिन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की किसी भी सूची में उसका नाम नहीं रखा गया। इसके बाद सपा की साइकिल रुक गई और भाजपा का कमल खिल गया होना यह चाहिए था कि थाने के भीतर भाजपा के राज्य मंत्री को गोली मारने वाले विकास दुबे का चेहरा मुरझा जाता लेकिन ऐसा हुआ नहीं क्योंकि इस सरकार में भी उसने जोड़-तोड़ लगा ली । इसीलिए जब 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो उन्होंने कहा या तो अपराध छोड़ दो या फिर यूपी छोड़ दो । इन काउंटर का दौर भी शुरू हुआ लेकिन लोगों की माने तो एसटीएफ ने उसकी मदद करते हुए उसे लखनऊ के कृष्णा नगर थाना क्षेत्र से मामूली मारपीट में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जबकि उस समय तक उसके ऊपर लगभग 150 मुकदमे चल रहे थे यहां एक बात बताना जरूरी है कि आरोपों के घेरे में आए अनंत देव पहले एसटीएफ के एसपी थे बाद में वह कानपुर के एसएसपी बन गए उसी कानपुर के जो विकास दुबे का गृह जनपद है और जिस थाना अध्यक्ष विनय तिवारी पर मुखबिरी करने और विकास दुबे के लिए काम करने का आरोप लग रहा है उसकी पोस्टिंग भी इन्हीं अनंत देव ने की थी बाद में अनंत देव एसटीएफ के डीआईजी बन गए और यह भी अजब संयोग है कि उन्हीं के नेतृत्व में पुलिस टीम विकास दुबे पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही थी लेकिन उसी समय विकास दुबे की की साजिश का शिकार होकर जान गवाने वाले सीओ की बेटी ने अनंत देव पर सवाल उठा दिया और इसी के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें एसटीएफ से हटाकर मुरादाबाद पीएसी में भेज दिया । लेकिन इसके पहले यह भी जान लीजिए कि मायावती की तरह योगी आदित्यनाथ ने भी 2019 में सभी जिलों के अपराधियों की सूची मंगवाई थी और उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था लेकिन विकास दुबे के सरपरस्त अधिकारियों ने विकास दुबे का नाम उस लिस्ट में शामिल नहीं होने दिया । हैरत की बात तो यह है कि अपराधियों के साथ 160 मुठभेड़ों का नेतृत्व करने वाले अनंत देव साहब को 150 से अधिक गंभीर धाराओं वाले अपराधी विकास दुबे का चेहरा दिखाई ही नहीं दिया । अब आप समझ सकते हैं सरकार कोई भी हो सत्ता और निजाम बदलते रहे लेकिन विकास दुबे के सरपरस्त हर सरकार में उसके साथ खड़े रहे और उसी की छत्रछाया में वह फलता फूलता रहा और आज पुलिस की 50 से अधिक टीमें उसे देश के कोने कोने में तलाश रही हैं लेकिन वह फिर भी हाथ नहीं आ रहा …..

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