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Navratri 4th Day 2022: कल चौथे नवरात्रि के दिन बन रहे ये दो शुभ योग

Lucknow : मंगलवार 4 अप्रैल को नवरात्रि का चौथा दिन है। आपको बता दें यह दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा को समर्पित होता है। वहीं पुराणों के अनुसार, अपनी मंद मुस्कुराहट व अपने उदर से ब्रह्मांड को जन्म देने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी (Kushmanda Devi) के नाम से जाना जाता है। मां कूष्मांडा तेज की देवी का प्रतीक हैं। माना जाता है कि ब्रह्मांड के सभी प्राणियों में जो तेज हैं, वह मां कूष्मांडा की देन है।

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जानें मां स्वरूप, भोग, पूजा विधि, शुभ रंग व मंत्र-

बता दें कि नवरात्रि के चौथे दिन यानी 5 अपप्रैल को सुबह 8 बजे तक प्रीति योग रहेगा। इसके बाद आयुष्मान योग (ayushman yoga) शुरू होगा। शास्त्रों के अनुसार, प्रीति व आयुष्मान योग को शुभ योगों में गिना जाता है। इन योगों में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होने की मान्यता है।

वही आपको बता दें कि मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह का सवारी करती हैं।

नवरात्रि के चौथे दिन हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा को हरा रंग अतिप्रिय है।

मां कूष्मांडा का भोग-

मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ (Malpua) चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस भोग को लगाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं।

नवरात्रि के चौथे दिन के शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:35 ए एम से 05:21 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:49 पी एम9
विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम
गोधूलि मुहूर्त-06:29 पी एम से 06:53 पी एम
अमृत काल- 02:14 पी एम से 03:59 पी एम
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:07 ए एम से 04:52 पी एम
रवि योग- 06:07 ए एम से 04:52 पी एम

मां कूष्मांडा कि पूजा विधि – विधान से करें

सबसे पहले स्नान कर ले।
इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान चढ़ाए।
इसके बाद मां कूष्मांडा को हलवे और दही का भोग लगाएं। आप फिर इसे प्रसाद के रूप में खा लें।
मां का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें।
पूजा के सम्पन्य होने के बाद मां की आरती करें।

माँ कूष्मांडा का मंत्र-

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

रिपोर्ट – पलक त्रिवेदी

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