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कांवड़ यात्रा में अब एक और बवाल, हरिद्वार में मस्जिदों को पर्दे से ढका गया

कांवड़ यात्रा को लेकर पहली बार इस देश में ऐसा हो रहा है जो यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि आखिर आस्था के नाम पर हम जा कहां रहे हैं? कर क्या रहे हैं? अभी दुकानों पर नेम प्लेट लगाने का मामला थमा भी नहीं कि हरिद्वार में कुछ मस्जिद और मजार को कांवड़ यात्रा मार्ग पर तिरपाल और टेंट वाले पर्दे से ढके जाने के मामले ने अब तुल पकड़ लिया है। आखिर हंगामा है क्यों बरपा? कांवड़ यात्रा के नाम पर ये सब खेल क्यों हो रहा है? हरिद्वार का नया मामला क्या है ? क्या देश में जानबूझकर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है? इस तरह के कई सवाल आपके मन में भी आ रहे होंगे, चलिए विस्तार से इस वीडियो में चर्चा करते हैं और आपको बताते हैं कि आखिर इस माहौल के पीछे का असली खेल क्या है?

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दोस्तों, आप सब जानते हैं कि कावड़ यात्रा को लेकर पहला विवाद तब सामने आया जब यूपी की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाले दुकानों को नेमप्लेट लगाने का आदेश जारी किया। यह आदेश आते ही विपक्ष बीजेपी को घेरने लगा। योगी सरकार पर सवाल उठने लगे। मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस आदेश पर रोक लगा रखी है और साफ कहा है कि नेम प्लेट लगाने की जरूरत नहीं है।

लेकिन इस बीच हरिद्वार में एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। यहां कांवड़ रूट पर पड़ने वाले मस्जिद और मजारों को त्रिपाल, कपड़ो से ढक दिया गया है। इसकी तस्वीर सामने आने के बाद लोगों में आक्रोश है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने नाराजगी जताई। हालांकि इस मामले में अब वहां के प्रशासन का कहना है कि हमने ऐसा कोई आदेश ही नहीं दिया था। हरिद्वार के डीएम धीरज गर्बियाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमने इस प्रकार का कोई आदेश नहीं दिया है ना लिखित न मौखिक. पता नही ये सब कहां से हो रहा है फिलहाल इस की जांच की जा रही है।

बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि कांवड़ यात्रा के दौरान रूट पर जो भी दुकानदार हैं उन्हें नाम डिस्प्ले करने के लिए इसलिए कहा गया क्योंकि लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत ना हो, साथ ही शांति व्यवस्था कायम रहे। सरकार ने आदेश को लेकर कहा कि इसके पीछे आइडिया यह था कि पारदर्शिता हो। कंज्यूमर खासकर कांवड़ियों को इस बात की जानकारी रहे कि यात्रा के दौरान कहां वह किस तरह का खाना खा रहे हैं और अपने धार्मिक आस्था का वह खयाल रख सकें। उनके साथ पवित्र जल है ऐसे में लाखों लोग जो यात्रा कर रहे हैं उनके आस्था के लिए जरूरी था ताकि कोई गलती न हो। सरकार का निर्देश भेदभाव वाला नहीं है और यह सभी फूड स्टॉल पर अप्लाई किया गया था।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून में ऐसा प्रावधान है तो फिर सभी जगह लागू हो फिर कुछ ही राज्य में क्यों? सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 5 अगस्त को होगी। आपको क्या लगता है, यह आदेश सही है या नहीं, कमेंट में बताएं।

 

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