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ओलंपकि का वो किस्सा जब तानाशाह हिटलर का सबसे बड़ा ऑफर ठुकराया था मेजर ध्यानचंद ने

पेरिस ओलंपिक में भारतीय टीम अपने अभियान की शुरुआत आज से करने जा रही है। इस बार भारतीय खिलाड़ियों से काफी उम्मीदें हैं। पेरिस ओलंपिक में भारतीय अभियान के आगाज के साथ ही मुझे याद आ रहा है हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का वो किस्सा जब उन्होंने बर्लिन ओलपंकि में इतिहास रचने के बाद  दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह हिटलर का सबसे बड़ा ऑफर ठुकरा दिया था। उस हिटलर का जिसके नाम से पूरी दुनिया कांपती थी, ध्यानचंद ने उसका सबसे बड़ा ऑफर ठुकरा दिया था। मैदान में अपना तिरंगा ना देखकर उस दिन बहुत रोए थे मेजर ध्यानचंद। ओलंपिक का यह किस्सा जो मैं आपको आज सुनाने जा रहा हूं, इसे सुनकर आपकी आंखें जरूर छलक जाएंगी और हाथ ऊपर उठ जाएंगे मेजर ध्यानचंद को सलाम करने के लिए, तो चलिए यह किस्सा शुरू करते हैं।

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यह कहानी है 1936 के बर्लिन ओलंपिक की। तानाशाह हिटलर के सामने मेजर ध्यानचंद की अगुआई में भारत ने जर्मनी को 8-1 से रौंदकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। उस मैच में मेजर ध्यानचंद के खेल को देखकर हिटलर इतना प्रभावित हुआ कि उसने मेजर ध्यानचंद को अपने देश की नागरिकता देने का मन बना लिया और सीधा ऑफर किया। लेकिन ध्यानचंद ने उसके मुंह पर ही उसका ऑफर ठुकरा दिया। इसे जानने के बाद पूरी दुनिया सन्न रह गई थी। दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह को कोई मुंह पर ऐसा जवाब कैसे दे सकता है लेकिन ध्यानचंद ने दिया था।

दरअसल, हुआ ये था कि मैच के बाद हिटलर ने मेजर ध्यानचंद से मुलाकात की थी और साफ कहा था कि आप मेरी  सेना में जो पद चाहें ले लीजिए। आप हमारे देश की नागरिकता स्वीकार कीजिए। हम आपके मुरीद हो गए हैं। ध्यानचंद ने बड़े प्यार से उनका यह ऑफर ठुकरा दिया यह करते हुए कि मेरे लिए मेरा देश ही सबकुछ है। उनके इस कदम से पूरी दुनिया में उनकी तारीफ हुई और हिटलर सिर झुकाकर वहां से निकल गया।

इसी मैच में एक और वाकया हुआ,. भारतीय टीम ने गोल्ड मेडल जीता लेकिन मैदान पर कहीं भी भारत का तिरंगा नहीं लहरा रहा था। इस कारण ध्यानचंद बहुत रोए थे। बाद में उन्होने हिटलर की उस पार्टी में भी हिस्सा नहीं लिए जो उसने स्वर्ण पदक जीतने वालों को दी थी। वह खेल गांव में ही बैठे आंसू बहाते रहे। जब टीम के एक साथी ने उनसे पूछा कि आज तो टीम जीती है आप रो क्यों रहे हैं तो  ध्यानचंद का जवाब था काश यहां यूनियन जैक (ब्रिटिश इंडिया का झंडा) की जगह तिरंगा होता तो मुझे ज्यादा खुशी मिलती।

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