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कम गेहूं उत्पादन बना वैश्विक संकट, जानें इस योजना में क्यों की गई कटौती?

नई दिल्लीः गेहूं की कमी इस बार वैश्विक संकट बनकर उभरा है। भारत सरकार के द्वारा गेहूं निर्यात के साथ ही मुफ्त राशन में गेहूं देना इस लिए बंद करना पड़ा क्यों कि इस बार देश में गेहूं का उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है।

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सरकार का अनुमान था कि गेहूं की पैदावार 11 करोड़ टन होगी जबकि सरकारी खरीद इस साल 4.44 करोड़ टन होगी, लेकिन अब तक गेहूं महज 1 करोड़ 81 लाख टन हुआ है।

2 मई पीआईबी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित किया जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश में करीब 35 हजार किसानों से 1 लाख 47 हजार टन गेहूं खरीदा गया, जबकि बिहार के महज 318 किसानों से 1704, राजस्थान के 84 और गुजरात के महज 3 किसानों का ही गेहूं सरकारी खरीद में बिका है, जबकि तीखी गर्मी के चलते पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की पैदावार में करीब 15 से 20 फीसदी की कमी आई है।

बता दें कि केंद्र सरकार अधिक से अधिक गेहूं खरीदने के लिए सरकारी खरीद की मियाद भी 15 दिन के लिए और बढ़ा दी है। जबकि वहीं निजी कंपनियों और आढ़तियों ने सरकारी खरीद मूल्यों से ज्यादा देकर उत्तर प्रदेश में किसानों का भारी पैमाने पर गेहूं खरीद लिया है।

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