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अयोध्या के बाद अब मथुरा में कृष्णजन्मभूमि को लेकर ‘भगवान कृष्ण’ ने खटखटाया सिविलकोर्ट का दरवाजा , वाद दाखिल

 

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मथुरा,

अयोध्या में राम मंदिर के बाद अब मथुरा में कृष्ण मंदिर की कानूनी जंग शुरू हो गई है , दोनों स्थान क्रमशः भगवान राम और भगवान कृष्ण के जन्मस्थल हैं ।
13.37 एकड़ के पूरे जन्मस्थान को कृष्ण का बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि की ओर से लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री ने यह याचिका मथुरा सिविल कोर्ट में दायर की !

याचिकाकर्ता स्वयं भगवान कृष्ण हैं !

याचिका दायर होते ही देश में खलबली मच गई है । राम मंदिर का प्रश्न हल करने में 500 साल तक बेशुमार खून बहा । अच्छा हो यदि अब कृष्ण के नाम पर वह रक्तरंजित इतिहास कतई न दोहराया जाए । जिसे भी तकलीफ हो वह संवैधानिक रूप से न्यायालय में अपनी बात रखे । देश को अब और धार्मिक वैमनस्य नहीं चाहिए ।

मथुरा में जन्मभूमि पर कृष्ण मंदिर कई बार बना, कई बार जीर्णशीर्ण हुआ, कईं बार तत्कालीन राजाओं ने जीर्णोद्धार कराए, नए सिरे से मन्दिर बनाए । सन 1616 में ओरछा नरेश बीर सिंह बुंदेला ने 33 लाख में पूरे 13.37 एकड़ पर भव्य मंदिर बनाया । मन्दिर तोड़ो अभियान के अंतर्गत औरंगजेब ने 1670 में मन्दिर तोड़ दिया और एक हिस्से में मस्जिद बना दी ।

मुगल इतिहास में दर्ज है कि मूर्तियां आगरा लेजाकर मस्जिद की सीढ़ियों में दफ्न कर दी गईं । 1770 में मराठों ने मस्जिद तोड़ दी और फिर से मन्दिर बनवा दिया । 1803 में अंग्रेजों ने मथुरा के समूचे कटरा केशवदेव को नजूल संपत्ति घोषित कर दिया ।

1944 में राजा पटनीमल के वंशजों से जुगलकिशोर बिरला ने खाली जमीन खरीद ली । 1951 में कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बन गया । 1958 में कृष्णजन्मभूमि सेवा संस्थान बिरलाजी की जमीन पर बन गया । इस संस्थान ने 1968 में मुस्लिम पक्ष से समझौता किया और कुछ जगह मस्जिद के लिए छोड़ दी । उसी पर शाही ईदगाह बनाया गया ।

यह है संक्षिप्त इतिहास

कृष्णजन्मभूमि न्यास का कहना है कि पूरा परिसर कृष्ण का है । कृष्णजन्मभूमि सेवा संस्थान को 1968 में कुछ जगह मस्जिद के लिए छोड़ने का अधिकार ही नहीं था । भूमि का स्वामित्व खुद श्रीकृष्ण के पास है और जन्मभूमि न्यास कृष्ण के नाम पर व्यवस्था करता है । ऐसे में सेवा संस्थान समझौता करने वाला कौन ?

जाहिर है विवाद है तो कोर्ट में आया है । इस प्रश्न को न्यायालय तक ही रहने दिया जाए । कृष्ण के नाम पर राजनीति न हो । इस देश की अदालतें बहुत सक्षम हैं । अयोध्या के मामले में लड़ाई न्यायालय के भीतर और बाहर दोनों जगह हुई । समय की मांग है कि देश अपनी जगह चलता रहे और न्यायालय तथ्यों के आधार पर अपना काम करें ।

राम, कृष्ण, शिव और दुर्गा साक्षात भगवान हैं । जाहिर है, भारत की आत्मा हैं । राम और कृष्ण के साथ काशी में भगवान विश्वनाथ की धरती पर भी मस्जिद स्थित है । दुर्गा के नाम पर देश मे कोई विवादास्पद स्थल नहीं । हाल में चीन ने सैकड़ों मस्जिदें रातों रात बिस्मार कर दी । किसी का भी धर्मस्थल तोड़ना कानूनसम्मत नहीं ठहराया जा सकता । इसी तरह मुगलकाल में भारत के हजारों मन्दिर तोड़े गए । सोमनाथ मंदिर का निर्माण तो सरदार पटेल ने खुद खड़े होकर कराया । जहां विवाद बड़े गहरे हों, उन्हें टालना भी उचित नहीं । तो अब न्यायालय को अपना काम करने दीजिए ।

Kaushal Sikhaula

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