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उत्तराखंडः 38 साल बाद घर पहुंचेगा शहीद का पार्थिव शरीर, 46 साल की हो चुकी है बेटी

नई दिल्लीः आज 15 अगस्त को पूरा देश आजादी की 75वीं सालगिरह अमृत महोत्सव के तौर पर मना रहा है। वहीं, सियाचिन पर अपनी जान गंवाने वाले एक शहीद सिपाही का पार्थिव शरीर 38 साल बाद उनके उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित घर आ रहा है।

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दरअसल, 29 मई 1984 को सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान हर्बोला की जान चली गई थी। बता दें कि बर्फीले तूफान में उस दौरान 19 जवान दब गए थे। जिनमें से 14 के शव बरामद कर लिए गए थे। लेकिन पांच जवानों के शव नहीं मिल पाए थे। इसके बाद सेना ने पत्र के जरिए घरवालों को चंद्रशेखर के शहीद होने की सूचना दी थी। उसके बाद परिजनों ने बिना शव के चंद्रशेखर हर्बोला का अंतिम क्रिया-कर्म पहाड़ी रीति रिवाज के हिसाब से कर दिया था।

आपको बता दें कि इस बार जब सियाचिन ग्लेशियर पर बर्फ पिघलनी शुरू हुई, तो खोए हुए सैनिकों की फिर से तलाश शुरू की गई। इसी बीच, आखिरी प्रयास में एक और सैनिक लॉन्स नायक चंद्रशेखर हर्बोला के अस्थि शेष ग्लेशियर पर बने एक पुराने बंकर में मिले। वहीं सैनिक की पहचान में उसके डिस्क ने बड़ी मदद की। जिस पर सेना का दिया हुआ नंबर (4164584) लिखा था।

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