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बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी गिरफ्तार,बिहार के रक्सौल से कैन्ट और एसओजी टीम ने किया गिरफ्तार !

गोरखपुर। बाहुबली नेता राजन तिवारी को बिहार के रक्सौल से गिरफ्तार कर लिया गया। राजन तिवारी नेपाल भागने की फ़िराक में था। लेकिन उससे पहले यूपी एसटीएफ और कैंट थाना पुलिस ने मिलकर नेपाल बॉर्डर पर ही राजन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया।
यूपी पुलिस को खबर मिली थी, कि राजन तिवारी यूपी पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए नेपाल भागने की फ़िराक में है। खबर मिलते ही यूपी एसटीएफ और कैंट पुलिस मोतिहारी पहुंची और मोतिहारी एसपी के सहयोग से सफारी गाड़ी से नेपाल भाग रहे राजन तिवारी को बिहार के रक्सौल में गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार, राजन तिवारी की गिरफ्तारी 17 साल पुराने 2005 के एक मामले में हुई है।

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बता दें कि राजन तिवारी मोतिहारी के गोविंदगंज से विधायक रह चुके हैं। उनके खिलाफ बिहार और यूपी में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। पुलिस को कई दिनों से राजन तिवारी की तलाश थी। और इस पर 20 हजार रुपये का इनाम भी घोषित था।

राजन का नाम यूपी के टॉप 61 माफियाओं की लिस्ट में शामिल है। टॉप माफियाओं की यह लिस्ट यूपी में हर जिले की पुलिस ने योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के शुरू होने के साथ तैयार करी है। और इन टॉप माफियाओं के खिलाफ 100 दिनों के अंदर कार्यवाही करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया है। जिसमें गोरखपुर जिले से बिहार के पूर्व विधायक राजन तिवारी का नाम भी शामिल किया गया है।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के सोहगौरा में रहने वाले राजन तिवारी पर अपनी पढाई पूरी करने के बाद ही बाहुबल का शौक सवार हो गया। तब उस समय सबसे बड़ा माफिया और बाहुबली श्री प्रकाश शुक्ला था। तभी राजन तिवारी श्री प्रकश शुक्ला के साथ जुर्म दुनिया में कदम बढ़ाने लगा। और धीरे-धीरे राजन श्री प्रकश शुक्ला का राइट हैंड बन गया। और यही से राजन तिवारी के नाम के आगे बाहुबली जुड़ गया। राजन तिवारी का नाम सबसे ज्यादा पहली बार तब सुर्ख़ियों में आया, जब उसे यूपी के महराजगंज की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे वीरेंद्र प्रताप शाही पर हमले में माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला के साथ आरोपी बनाया गया था। इसी घटना के बाद राजन तिवारी यूपी पुलिस के लिए वांटेड बन गया। उत्तर प्रदेश में दर्ज आपराधिक मामलों में कानूनी कार्रवाई और गैंगवार से बचने के लिए राजन ने बिहार पूर्वी चंपारण को अपना ठिकाना बनाया था। बिहार पहुंचने के बाद राजन तिवारी का नाम बिहार सरकार के मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या में भी आया। हत्या के इस मामले में राजन तिवारी को निचली अदालत से उम्र कैद की सजा भी हुई लेकिन सबूतों के आभाव के कारण 2014 में पटना हाईकोर्ट ने इसे बरी कर दिया।

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