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कोरोना: तीसरी लहर ने दी दस्तक,सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित, ऐसे करें बचाव

उत्तर प्रदेश : देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ था की अब तीसरी लहर ने भी दस्तक देना शुरू कर दिया है। भारत के कई राज्यों में एक तरफ जहाँ पाबंदियों को खोलने का सिलसिला चला रहा है, तो वहीँ कुछ राज्यों में नए मामलों की बढ़ती संख्या चिंता का कारण बनी हुई है। सबसे अहम बात यह है कि अब बच्चों के स्कूल भी खुल रहे हैं जिसकी वजह से बच्चों पर भी इसका खतरा मंडरा रहा है। कर्नाटक और बेंगलुरु में कुछ ऐसे ही नतीजे सामने आए हैं।

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बेंगलुरु में स्कूली बच्चों में कोरोना का कहर

कोरोना के मामलों में एमी देखते हुए कई जगह स्कूल-कॉलेज खोल दिए गए थे। जिसकी वजह से अब कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, कर्नाटक के बेंगलुरु (Bangalore) में भी ऐसा ही हुआ। हाल ही में जारी आंकड़ों से जो तस्वीर निकलकर सामने आई है उसने सभी को चिंता में दाल दिया है। यहां महज़ 6 दिनों में 300 से अधिक बच्चे कोरोनी की चपेट में आ चुके हैं।

बेंगलुरु जैसे बड़े शहर का यह आंकड़ा राज्य में सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ है। बेंगलुरु प्रशासन द्वारा जो आंकड़े दिए गए हैं, उनमें 0 से 9 साल के करीब 127 और 10 से 19 साल के करीब 174 बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं। यह आंकड़ा पांच अगस्त से दस अगस्त के बीच का है।

अन्य राज्यों में क्या है बच्चों का हाल

कर्नाटक (Karnataka) से इतर अगर उत्तर भारत की बात करें, तो यहां भी स्कूल-कॉलेज खुलने के बाद कोरोना के फैलते प्रकोप का असर दिख रहा है।
हिमाचल प्रदेश में करीब 62 छात्र कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, पंजाब में भी 27 स्कूली बच्चे कोरोना संक्रमित हुए हैं। हरियाणा के स्कूलों में भी कोरोना के मामले सामने आए हैं।

16 से यूपी में खुलेंगे स्कूल/कॉलेज तथा कोचिंग संस्थान

कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने भी 16 अगस्त से स्कूल और कॉलेज खोलने के आदेश दे दिए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि स्कूल जाने वाले इन बच्चों को कोरोना के खतरे से कैसे बचाया जा सकता है। इस बात का जवाब जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ आशीष प्रताप सिंह ने दिया है।

स्कूल/कॉलेज रखें इन बातों का ध्यान

डॉ आशीष ने Live UP News 24 से बातचीत करते हुए कहा कि जब तक बच्चों का vaccination न हो तबतक राज्य सरकारें स्कूल न खोलें। Vaccination की प्रक्रिया तक इंतज़ार कर लेना ज़्यादा बेहतर होगा। उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो स्कूल तथा कॉलेज प्रशासन को बच्चों के लिए मास्क तथा सैनिटाइज़र अनिवार्य कर देना चाहिए। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि स्कूल कैंपस में मास्क की उपलब्धता हमेशा बनी रहे। ऐसा इसलिए आवश्यक है कि अगर किसी बच्चे का मास्क ख़राब हो जाता है या टूट जाता है तो उसे तुरंत मास्क मुहैया कराया जा सके।

उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी बच्चे का स्वस्थ्य ठीक नहीं है तो स्कूल कैंपस में एंट्री न दी जाए। इससे बाकी बच्चों को किसी भी तरह के संक्रमण से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि स्कूल तथा कॉलेज के गेट पर किसी शिक्षित व्यक्ति को स्क्रीनिंग के लिए बैठाया जाए ताकि स्क्रीनिंग का प्रोसेस अच्छे से किया जा सके। स्क्रीनिंग करते वक़्त मशीन को सर से 5-15 सेंटीमीटर के फर्क पर रखकर ही टेम्परेचर लें। किसी भी तरह की लापरवाही न बरती जाए।

माता-पिता का सबसे महत्वपूर्ण किरदार

डॉ आशीष ने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण किरदार माता-पिता का होगा। उन्होंने कहा कि अगर उनका बच्चा किसी भी तरह की बीमारी से प्रभावित है तो समझदारी दिखाते हुए उसे स्कूल या कॉलेज न भेजें। बच्चों को लगातार कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करने की सलाह दें। 4-10 साल तक के बच्चों के माता-पिता अपने उन्हें हर रोज़ कोरोना गाइडलाइन्स से अवगत कराते रहे। मास्क और सैनिटाइज़र का प्रयोग करवाना न भूलें।

24 घंटे में कोरोना के मामले

छह दिनों बाद फिर कोरोना मामले 40 हजार से ज्यादा सामने आए हैं। गुरुवार सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों में 41,195 नए कोरोना मामले पाए गए हैं। वहीं 490 संक्रमितों ने अपनी जान गावं दी है। इससे पहले 5 अगस्त को 44,643 कोरोना मामले सामने आए थे। वहीं देशभर में पिछले 24 घंटे में 39,069 लोग कोरोना से ठीक भी हुए हैं।

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