Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu
Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu

इन 14 गांवों में क्यों मनाया जाता है एक दिन पहले ही रक्षाबंधन का त्यौहार, बेहद दिलचस्प है इसके पीछे की कहानी

बदायूं : रक्षाबंधन का त्यौहार देशभर में कल यानि रविवार को मनाया जाएगा, लेकिन बदायूं के कादरचौक इलाके के 14 गांव ऐसे हैं, जहां रक्षाबंधन एक दिन पहले यानी आज ही मना लिया। स्थानीय ग्रामीणों ने ऐसा किसी शौख में या मजबूरी के चलते नहीं किया है। बल्कि यह इस इलाके की सबसे पुरानी परंपरा है। दरअसल यह परंपरा आल्हा ऊदल के जमाने से चली आ रही है जिसका पालन स्थानीय ग्रामीण पूरी शिद्दत से करते हैं।

- Advertisement -

14 गांव चंदेल वंशज के अधीन थे

बता दें कि कादरचौक इलाके के यह 14 गांव भंटेली कहलाए जाते हैं। बुजुर्गों का कहना है कि यहां पहले जमींदारी प्रथा लागू थी। यह 14 गांव ठाकुर सोरन सिंह, वीरेंद्र सिंह, लाखन सिंह यादव की जमींदारी में आते थे और चंदेल वंशज (महोबा शासक) के अधीन हुआ करते थे।

इस परंपरा के पीछे की कहानी

1182 ईस्वी में दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान ने महोबा पर आक्रमण कर दिया था। उस समय महोबा पर चंदेल वंशज परमाल का राज हुआ करता था। राजा परमाल की रानी चंद्रबली ने अपने मुंहबोले भाई आल्हा से अपनी व राज्य की सुरक्षा की बात कही। लड़ाई रक्षाबंधन वाले दिन होनी तय थी। ऐसे में आल्हा ने अपने अधीन आने वाले 14 गांवों में एक दिन पहले ही रक्षाबंधन मनाने की घोषणा कर दी और अगले दिन यानि रक्षाबंधन वाले दिन उन्होंने युद्ध में शामिल होने के लिए कूच कर दी।

कैसे मिली इसकी जानकारी

सदियों पुरानी इस परंपरा को वहां के लोग आज भी निभाते हैं। इन 14 गावों में कादरचौक, लभारी, चौडेरा, मामूरगंज, गढिया, ततारपुर, कचौरा, देवी नगला, सिसौरा, गनेश नगला, कलुआ नगला, किशूपरा शामिल हैं। इन गावों के लोग हर साल एक दिन पहले ही रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते हैं। इस बहाने अपने पूर्वजों की गाथा को भी याद कर लिया जाता है। आल्हा-ऊदल के इतिहास से संबंधित एक पुस्तक में इसका प्रसंग छपा हुआ है।

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें