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Raksha Bandhan 2021 Puja Vidhi, Muhurat: 474 साल बाद बन रहा ऐसा दुर्लभ संयोग, भाई-बहन के लिए होगा राजयोग

लखनऊ : भाई-बहन के खूबसूरत रिश्ते को समर्पित त्योहार रक्षाबंधन इस साल 22 अगस्त यानी रविवार को मनाया जायेगा। यह त्योहार हर साल सावन के पावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र (राखी) बांधती हैं और उनके सुखी जीवन की कामना करती हैं। कई साल बाद इस बार ऐसा संयोग बना है जिसने रक्षा बंधन का माहात्म्य अतुलनीय कर दिया है। ऐसे में बहनों का भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधने से पहले शुभ मुहूर्त, पूजा विधि आदि जान लेना बेहद आवश्यक हो जाता है। इसीलिए आज हम आपको देंगे रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां।

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राखी का शुभ मुहूर्त

भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। इसलिए राखी बांधने से पहले इसपर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है। ज्योतिशास्त्र के अनुसार इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा। बहनें सूर्योदय के बाद कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। हालांकि इस बार राखी बांधने के लिए शुभ अवधी 12 घण्टे 13 मिनट तक है। यानी 22 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 05:50 से शाम 06:03 मिनट तक रहेगा। वहीं अगले दिन यानी 23 अगस्त को भद्राकाल सुबह 05:34 मिनट से लेकर 06:12 मिनट तक रहेगा।

राखी बांधने से पहले करें यह काम

बहनों को चाहिए कि वह राखी बांधने से पहले उसे भगवान को अर्पित करें। हिंदू धर्म शास्त्र के मुताबिक, सबसे पहले देवताओं को राखी बांधकर उनको भोग लगाना चाहिए और उसके बाद ही भाइयों को राखी बांधें। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और बहनों को मनवांछित वरदान देते हैं। भाइयों का घर धन-दौलत से भर देते हैं।

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था। आपको बता दें कि सबसे पहले राखी भगवान श्री गणेश जी को बांधना चाहिए। उसके बाद एनी देवताओं को जैसे भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान श्री कृष्ण, भगवान श्री राम, भगवान हनुमान और अपने ईष्ट देव को राखी अर्पित करने के बाद ही भाइयों को राखी बांधें।

रक्षाबंधन पूजा विधि

  • राखी वाले दिन सबसे पहले सुबह स्नान कर पवित्र हो जाएं और देवताओं को प्रणाम करें। इसके बाद अपने कुल के देवी-देवताओं की पूजा करें।
  • फिर एक थाली लें। आप चाहें तो चांदी, पीतल, तांबा या फिर स्टील की थाली भी ले सकते हैं। फिर इस थाली में राखी, अक्षत और रोली रखें।
  • सबसे पहले राखी की थाल को पूजा स्थान पर रखें और पहली राखी बाल गोपाल या फिर अपने ईष्ट देवता का चढ़ाएं।

रक्षाबंधन 2021 पर 474 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, इस साल रक्षाबंधन पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इससे पहले ऐसा संयोग 11 अगस्त 1547 को बना था। जब धनिष्ठा नक्षत्र में रक्षाबंधन का पावन त्योहार आया था। साथ ही उस दौरान एकसाथ ऐसी स्थिति में सूर्य, मंगल और बुध आए थे। उस समय शुक्र ग्रह मिथुन राशि में विराजमान थे। वहीं इस साल शुक्र कन्या राशि में विराजमान होंगे। यह दोनों राशियां ही बुध का स्वामित्व करने वाली हैं। इस बार पूरे 474 साल बाद यह शुभ धनिष्ठा नक्षत्र संयोग बनेगा।

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