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महापंचायत का पूरा कच्चा चिट्ठा, मोदी सरकार को मिला वार्निंग सिग्नल, किसान देंगे वोट की चोट !

मुजफ्फरनगर : सिर पर टोपी हरी, हाथ में किसी के सफेद झंडा तो किसी के लाल और हरा। संगठन भी एक नहीं, बल्कि अनेक। कोई यूपी से तो कोई हरियाणा पंजाब और पश्चिम बंगाल से। हर प्रदेश के किसान अपनी संस्कृति के अनुरूप वेशभूषा में थे। पंचायत स्थल पर दूर तक यही नजारा देखने को मिल रहा था। बावजूद इसके सभी की जुबां पर सिर्फ कृषि कानूनों के वापसी बात थी। किसानों के जत्थे-के-जत्थे देखकर लग रहा था महापंचायत तो मानों बस एक बहाना था असली मकसद तो आधे भारत बुलाना था।

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रविवार को मुजफ्फरनगर में राजकीय इंटर कॉलेज (जीआईसी) के मैदान पर महापंचायत में किसानों के बीच एक लघु भारत सिमट आया। जितने लोग GIC के मैदान पर थे। करीब उतने ही किसान बाहर सड़क पर आ जा रहे थे। भाकियू उग्राहू की महिलाएं पीले रंग का दुपट्टा ओढ़कर पहुंची, जिनके हाथों में झंडे भी हरे और पीले रंग के ही थे। पंजाब से करीब 80 महिलाएं पहुंची। पश्चिम बंगाल से ऑल इंडिया किसान सभा के सच्चिदानंद कंडारी, सोमनाथ सिंह, राजूब अली और श्यामलाल आदि लाल झंडा और बैनर लेकर पहुंचे। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल में धान, आलू और जूट की फसल ज्यादा होती है, लेकिन वाजिब दाम नहीं मिलता, कट मनी का खेल पूरे प्रदेश में चलता है, जिस कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं।

कृषि कानूनों को थोप रही सरकार

इसी तरह मध्य प्रदेश के सतना जिले से करीब 500 लोग पहुंचे, जिनका कहना था कि कृषि कानूनों के विरोध में सात माह से तहसील रामपुर में धरना दे रहे हैं। पूरे देश का किसान तीनों कानूनों के खिलाफ है, सरकार को किसानों की बात माननी होगी। क्रांतिकारी संगठन की सुखविंदर कौर ने बताया कि करीब 500 महिलाएं पटियाला से इस संगठन की आई हैं, जो हरा दुपट्टा ओढ़कर पहुंची। इस तरह से महापंचायत स्थल पर झंडे, कपड़ों और बैनर में रंगों का समावेश था, लेकिन मुद्दा सभी का एक था कि कृषि कानूनों को सरकार थोप रही है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

पूंजीपतियों की तिजोरी भरने में लगे मोदी – किसान

पंजाब आभोर जिलाध्यक्ष प्रगट सिंह महामंत्री जगत सिंह ने बताया कि यह लड़ाई पूंजीपतियों और भाजपा सरकार से है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दोस्तों के साथ देश के किसानों को तीन काले कानूनों के माध्यम से लूटकर पूंजीपतियों की तिजोरी भरने में लगे हैं।

किसान की ताकत देगी वोट की चोट

उत्तराखंड के जिला हरिद्वार इंकलाब मजदूर एकता संगठन जिलाध्यक्ष पंकज कुमार ने बताया कि भाजपा सरकार में मजदूर किसान दोनो बर्बादी की कगार पर खड़े है। अमृतसर पंजाब से आए संतनाम सिंह चंदेर का कहना था कि किसानों को गुलामी की बेड़ियों मे जकड़ने के लिए भाजपा सरकार असफल प्रयास करने में जुटी है। इसको आंदोलन के जरिये किसान एकजुटता के बल पर कुचल देगा। आने वाले चुनाव में सरकार में किसान की ताकत की वोट ऐसी चोट देगी, जिससे देश के हर प्रदेश मे भाजपा का बंटाधार हो जाएगा।

किसानों ने ऐलान किया कि अब 25 के बजाय 27 सितंबर को भारत बंद रहेगा। भीड़ से उत्साहित किसान नेताओं ने कहा, यह महापंचायत मोदी सरकार के लिए वार्निंग सिग्नल है या तो रास्ते पर आ जाओ, नहीं तो किसान 2024 तक भी आंदोलन करने को तैयार हैं।

यूपी में योगी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे – किसान

दंगे से सामाजिक ताना-बाना टूटने के आठ साल बाद हुई पंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सद्भाव का संदेश देने के साथ ही कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी की गारंटी, गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी की मांग उठाई। रेलवे, एयरपोर्ट, बैंक व बीमा समेत सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर कड़ा विरोध जताया। कहा कि किसानों की मांगें नहीं मानी तो बंगाल की तर्ज पर यूपी में योगी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अब लड़ाई सिर्फ यूपी मिशन तक नहीं रुकेगी, बल्कि पूरे देश में आंदोलन तेज होगा।

किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि किसान, मजदूर और नौजवान अब वोट की चोट देने को तैयार है। अब यह मिशन यूपी नहीं, बल्कि पूरे देश का मिशन हो गया है, मोदी सरकार समझ ले और रास्ते पर आ जाए, नहीं तो किसान 2024 तक भी आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।

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