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देश पर कुर्बान मेरठ का लाल : बहनों को है भाई पर गर्व, जानें कब होगा अंतिम संस्कार

मेरठ : 27 अगस्त 2021 को जम्मू कश्मीर के शोपियां में दुश्मनों से लोहा लेते हुए मेरठ के मेजर मयंक विश्नोई शहीद हो गए थे। आज उनका पार्थिव शरीर अपनी मिट्टी पहुंचेगा। जहां उनके पैतृक आवास पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बता दें कि दोपहर 2:30 बजे तक शहीद मेजर मयंक का पार्थिव शरीर मेरठ पहुंचेगा। शहीद मेजर के स्वागत के लिए तैयारियां हो चुकी हैं। फूल और तिरंगे से बाज़ारों को सजाया गया है। कंकरखेड़ा के व्यापारी, समाजसेवी और राजनैतिक दल के लोग सुबह से ही इन तैयारियों में लगे हुए थे।

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मेजर मयंक विश्नोई

रक्षाबंधन पर मेजर ने बहन से अंतिम बार की थी बात

शहीद मेजर मयंक विश्नोई कंकरखेड़ा शिवलोकपुरी निवासी रिटायर्ड सूबेदार वीरेंद्र विश्नोई के पुत्र हैं। परिवार के सदस्यों ने बताया कि रक्षाबंधन के मौके पर मेजर ने बहन से अंतिम बार वीडियो कॉल पर बात की थी। उन्होंने अपने हाथ में बंधी राखी की डोर को दिखाकर कहा था कि दीदी राखी बांध ली है। अब ऑपरेशन पर जा रहा हूं। मेजर की बहन उस लम्हे को याद कर बिलख पड़ती हैं। बहनों को भाई की शहादत पर गर्व है लेकिन उसे खोने का गम भी संभल नहीं पा रही हैं।

मेजर मयंक विश्नोई

27 अगस्त 2021 को शोपियां में दुश्मन से मुठभेड़ में मयंक के सिर पर गोली लगी थी। जिसका बाद उनकी गंभीर हालत के उधमपुर मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इस बात की खबर मिलते ही मेजर का परिवार उधमपुर पहुंच गया था। जिनमें पिता बिरेंद्र विश्नोई, माता मधु बिश्नोई और पत्नी स्वाति शामिल थे।

मेजर मयंक विश्नोई

मेजर मयंक के फुफेरे भाई अंकुर गोयल ने बताया कि सुबह 10:00 बजे उधमपुर से मेजर मयंक विश्नोई के पार्थिव शरीर को जम्मू लाया गया था। जिसके बाद सैनिक टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर उन्हें फ्लाइट से हिंडन एयरबेस के लिए रवाना किया। मेजर के साथ उनकी पत्नी स्वाति भी लौट रही हैं।

खुशमिजाज, हरफनमौला, नेकदिल इंसान थे शहीद मेजर

बताते चलें कि शहीद मेजर मयंक विश्नोई एक खुशमिजाज, हरफनमौला, ज़िंदादिल और नेकदिल इंसान थे। उनकी नेकदिली का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि मेजर को उनकी वीतरा के लिए शौर्य चक्र से नवाज़ा गया था लेकिन उन्होंने एक सैन्य अधिकारी को उनकी सेवा निवृत्ति के दौरान उनके सम्मान में दान कर दिया था।

मेजर मयंक विश्नोई

मेजर मयंक ने ली थी कमांडो की ट्रेनिंग

परिजनों ने बताया कि मयंक के कर्नल हर ऑपरेशन में जाने पर अहम जिम्मेदारी सौंपते थे। उनके कार्यकाल को छह महीने के लिए आगे भी बढ़ाया गया। मेजर मयंक अपने हर रिश्तेदारों से देश सेवा के लिए कुछ कर गुजरने का सपना लेकर जीवन जीने की सलाह देते थे। बता दें कि उन्होंने कमांडो ट्रेनिंग भी ली थी।

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