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इंडिया में भी अब बूस्टर डोज़ की है जरूरत, कमजोर पड़ने लगीं हमारी एंटीबॉडी?

लखनऊ

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कोरोना (Corona) जैसी खतरनाक महामारी के रोकथाम के लिए वैक्सीन (Vaccine) ही एक मात्र विकल्प है। पर अब कुछ जानकारों के अनुसार, इसका प्रभाव भी एक समय के बाद कुछ कम पड़ने लगता है। इस समय देश में कोवैक्सिन (Covaxin) व कोविशील्ड (Covishield) की डोज़ (Dose) लोगों को लग रही हैं, पर इन वैक्सीनों से बनने वाली ऐंटीबॉडी (Antibody) कुछ ही समय या महीनों के बाद कम होने लगती हैं। ऐसी समस्या के निपटने के लिए अब बूस्टर डोज़ (Booster Dose) की आवश्यकता की अनुभूति होने लगी है।

फोटो : इंटरनेट

भुवनेश्वर (Bhubaneswar) में बने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) में वहाँ के स्टॉफ व स्वास्थ्यकर्मियों पर एक शोध (Study) कर के यह जानकारी प्राप्त हुई कि वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने के कुछ ही समय बाद शरीर में मौजूद एंटीबॉडी काफी हद्द तक कम पड़ने लगीं, जो कि काफी बड़ी समस्या की ओर संकेत करता है।

सिर्फ इंडिया (India) में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी ऐसी समस्या सामने आ रही है। ब्रिटेन (Britain), अमेरिका (America) व इजरायल (Israel) जैसे तमाम देश ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रहे हैं। कई देशों ने तो अब तीसरी डोज़ देना भी प्रारम्भ कर दिया है, वहीँ इजरायल अपने हालातों को देखते हुए चौथी डोज़ देने के बारे में भी विचार कर रहा है। दुनिया का सबसे मजबूत देश कहा जाने वाला अमेरिका पहले से ही फाइजर (Pfizer) और मॉडर्ना (Moderna) वैक्सीन का तीसरा डोज़ लोगों को देना शुरू भी कर चुका है।

फोटो : इंटरनेट

बड़े रोग जैसे एचआईवी (HIV AIDS), कैंसर (Cancer), ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ Transplant), हार्ट (Heart) की समस्याओं से ग्रसित लोगों को ही बूस्टर डोज़ दिया जा रहा है क्यूंकि इनमें रोग प्रतिरोधक शक्ति (Immunity) अन्य लोगों के मुकाबले काफी काम होती है या स्थिर नहीं होती है। इनमें वायरस फैलने का खतरा बहुत अधिक रहता है।

इंडिया में एक शोध के अनुसार, डॉक्टरों ने बताया है कि जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक शक्ति या जो लोग जानलेवा रोगों से ग्रसित हैं, उनको दूसरी डोज़ देने के लगभग 8 से 12 माह बाद बूस्टर डोज़ देनी चाहिए। डाक्टरों ने यह भी कहा कि यह एक सीमित शोध था, इसकी और जानकारी करने के लिए विस्तृत रूप से और शोध या अध्यन की आवश्कता है।

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