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इन गांवों में महंगाई से बेहाल हैं लोग, चीनी 150, सरसों तेल 275, आटा 150 में खरीदने को मजबूर, देखें लिस्ट

लखनऊ : देश में बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है। कोरोना काल में हर कोई आर्थिक रूप से परेशान है। वहीं गांवों की हालत तो कुछ ज़्यादा ही खराब मालूम हो रही है। भारत-चीन के बॉर्डर पर बेस गांवों पर महंगाई की मर ऐसी पड़ी है कि पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं। ग्रामसभाओं में ज़रूरी सामान छह से आठ रूपए महंगा बिक रहा है। देश के कुछ कोनों में जहां नमक की कीमत 20 रूपए किलो चल रही है। वहीं सीमा पर बेस गावों में नमक की कीमत 130 रूपए हो गई है। लोग खुद को मजबूर महसूस कर रहे हैं।

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यही हालत रोज़ मर्रा में इस्तेमाल होने वाली बाकी सामानों की भी है। प्याज 125 रूपए किलो बिक रहा है तो वहीं सरसों के तेल का दाम 275 रूपए किलो हो गया है। चीनी 150 तो दाल 200 रूपए किलो बिक रही है।

भारत-चीन सीमा पर हर साल मार्च से नवंबर तक 13 से ज़्यादा गांव के लोग माइग्रेशन करते हैं। ख़राब रास्ते और कोरोना के कारण माइग्रेशन पर आने वाले ग्रामीण इस बार बढ़ती महंगाई से त्रस्त हैं। इन ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार उनके लिए उचित इंतज़ाम करने में समर्थ नहीं है तो आगे माइग्रेशन करने में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। यह सभी ग्रामीण सड़क से लगभग 52 से 73 किमी दूरी पर बेस हुए हैं।

महंगाई बढ़ने के मुख्य तीन कारण

1: पैदल रास्ते टूट चुके हैं जिसके चलते सभी सामान घोड़े और खच्चर वालों से खरीदना एक मजबूरी बन गई है। पहले लोग खुद पैदल भी सामान लाते थे।
2: कोरोना का में मजदूरों ने ढुलाई भाड़ा दोगुना कर दिया है। जो साल 2019 में प्रति किलो 40 से 50 रुपये भाड़ा था। वही अब 80 से 120 रुपये तक पहुंच गया है।
3: कोरोना के कारण नेपाल से आने वाले मजदूरों की संख्या काफी कम हो गई।

तीन साल से बढ़ती जा रहीं कीमतें

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