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Gandhi Jayanti Special : ऐसे मनाते थे बापू अपना जन्म दिवस, जानिए क्या थी उनकी मृत्यु के बाद की कसौटी ?

लखनऊ : आज देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में भारत रत्न मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी, जिन्हें प्यार से लोग बापू कहकर पुकारते हैं उनकी 152वीं जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। चारों तरफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन की ख़ुशी की रौनक फैली हुई है। हर कोई अपनी ही तरह से उनके जन्मदिन की तैयारियों में लगा हुआ है। दुनियाभर में गांधीजी और उनके विचारों की प्रासंगिकता आज भी ज्वलंत हैं। आज भी उनकी दी हुई सीख लोगों के दिलों में जीवंत हैं।

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हर साल उनकी जयंती पर तमाम तैयारियां होती हैं, तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दल भी इस दिन को राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाती हैं। कई संस्थानों में आज के दिन अवकाश रहता है। तो कई जगह इसे त्यौहार की के रूप में मनाया जाता है। लेकिन गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) मनाने से पहले हर साल एक सवाल अक्सर मेरे मन में कौंधता है और शायद आपके भी मन में भी ये सवाल आता होगा कि आखिर गांधीजी अपना जन्मदिन कैसे मनाते थे? वो अपने जन्मदिन पर क्या करते थे? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब से अधिकतर भारतीय आज भी अनजान हैं। आज हम आपको इन्ही सवालों के जवाब देने वाले हैं और गांधी जी के बारे में कुछ अनसुनी बातें करने वाले हैं।

मृत्यु के बाद ये थी बापू की कसौटी

वयोवृद्ध गांधीवादी विचारकों का मानना है कि महात्मा गांधी अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे। प्रसिद्ध गांधीवादी चितंक राम चंद्र राही का कहना है कि शायद गांधीजी अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे, लेकिन लोग उनका मनाया करते थे। राही 02 अक्तूबर, 1918 के एक वाकये का हवाला देते हुए कहते हैं कि गांधीजी ने अपने समर्थकों से कहा था, मेरी मृत्यु के बाद मेरी कसौटी ये होगी कि मैं जन्मदिन मनाने योग्य हूं या नहीं।

ऐसे मनाते थे बापू अपना जन्मदिन

गांधीजी जन्मदिन के रोज़ भीअपनी नियमित दिनचर्या का पालन किया करते थे। सुबह उठ कर नियत समय पर पूजा-अर्चना करते थे, चरखा चलाते थे, लोगों से मिलते और ज्यादातर मौन रहते थे। आज देश में स्वत्छता के लिए अभियान तक चला दिया गया है लेकिन गांधीजी सिर्फ ऊपरी स्वछता को नहीं मानते थे बल्कि शरीर की स्वच्छता के साथ-साथ मन की स्वच्छता और शुद्धता को वो ज़्यादा महत्व देते थे।

आज है अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस

महात्मा गांधी को लोग अहिंसा का पुजारी कहते हैं। लेकिन ये बात भी सच है उनका प्रतीक झाडू़, सत्याग्रह और सत्यनिष्ठा भी हैं। आज के दिन, गांधी वादी, सामाजिक संस्थाओं और सरकार की ओर से कई कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इन कार्यक्रमों में स्वच्छता अभियान से लेकर अहिंसा, स्वदेशी और लोकतंत्र तक की बातें की जाती हैं। लेकिन शायद ही कुछ लोगों को इस बात की जानकारी हो कि आजादी के आंदोलन में अहिंसा के रास्ते अपनी लड़ाई लड़ने वाले मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ़ बापू के जन्मदिन को संयुक्त राष्ट्र की ओर से 15 जून, 2007 को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मानाने की घोषणा की गई थी।

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