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Lal Bahadur Shashtri Jayanti Special : शास्त्री जी के अनसुने किस्से, जिन्हें जानकर होंगे आप हैरान

लखनऊ

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लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shashtri) भारतीय राजनीति के ऐसे नेता रहे हैं, जिनको लोग उनकी सादगी के लिए आज भी याद करते हैं। शास्त्री जी एक कुशल राजनेता होने के साथ साथ सहज और सरल व्यक्तित्व के थे। आज उनके जन्मदिन पर उनसे जुड़े कुछ ऐसे किस्से हम आपको बताते हैं, जिन्हें सुनकर आप हैरान रह जाएंगे और सोच में पड़ जाएंगे कि क्या सच में कोई प्रधानमंत्री इतना सहज और सरल हो सकता है।

फोटो : इंटरनेट

तो चलिए बताते हैं, बात उन दिनों की है जब लाल बहादुर शास्त्री जेल में थे। जेल से उन्होंने अपनी माँ को पत्र लिखा कि पचास रुपये जो मिल रहे हैं, उसे घर का खर्च चल जाता है। माँ ने पत्र के जवाब में बेटे को लिखा कि बेटा पचास रुपये में नहीं बल्कि चालीस रुपये में ही मेरा घर खर्च चल जाता है। तब शास्त्री जी ने उस संस्था को पत्र लिख कर कहा कि आप हमारे घर प्रत्येक महीने सिर्फ चालीस रुपये ही भेजिए बाकि का दस रुपये किसी दूसरे गरीब परिवार को दे दीजिए।
शास्त्री जी बहुत काम साधनों में अपना जीवन जीते थे। सदा जीवन उच्च विचार के सिद्धांतों पर चलते थे। उनका एक किस्सा और है, कहा जाता है कि वो अपनी पत्नी को फटे हुए अपने कुर्ते दे दिया करते थे और उन्हीं पुराने कुर्तों से उनकी पत्नी रुमाल बनाकर इस्तेमाल करती थीं। ऐसा सरल व्यक्तित्व था लाल बहादुर शास्त्री जी का।

अकाल के दिनों में जब देश में भुखमरी की दिक्कत आ गई थी, तब शास्त्री जी ने कहा कि देश का हर नागरिक अगर एक दिन का भी उपवास करे तो भुखमरी वाकई खत्म हो जाएगी। लाल बहादुर शास्त्री के बेटे बताते हैं कि शास्त्री जी ने कभी भी सरकारी खर्चे पर कभी कोई कार नहीं ली और उनकी सादगी के एक नहीं, दो नहीं, ऐसे सैकड़ों किस्से हैं जो आपके और हमारे जहन में यूँ ही ताज़ा हो जाते हैं।

फोटो : इंटरनेट

एक बार की बात है, वो अपने घर की महिलाओं के लिए साड़ियां खरीदने गए थे, और वो एक मिल में चले गए। मिल मालिक ने उनको प्रधानमंत्री जानकार कुछ अच्छी और महंगी साड़ियां दिखाई। साड़ियां देखने के बाद शास्त्री जी ने कहा कि तुम्हारी साड़ियां तो बहुत ही अच्छी हैं, लेकिन इन साड़ियों को खरीदने लायक मेरे पास पैसे नहीं हैं।

एक प्रसंग और है जो बताता है कि शास्त्री जी कैसे और सभी से बिल्कुल ही अलग थे। एक बार वो एक ट्रैन के कोच में सफर कर रहे थे। जैसे ही वो कोच में चढ़े, उन्होंने अपने पीए से कहा कि बाहर बहुत गर्मी है पर अंदर ठंडक क्यों है। पीए ने बताया कि आपकी सुविधा लिए कोच के अंदर एक कूलर लगा दिया गया है। इस बात शास्त्री जी बेहद नाराज हुए। उन्होंने कहा कि इस कूलर को जल्द से जल्द मेरे कोच से हटवाया जाए। और आपको जानकार हैरानी होगी कि ये बात उस समय की है जब शास्त्री जी देश के प्रधानमंत्री थे।

ये और ऐसे बहुत से किस्से हैं शास्त्री जी के जो जीवन में आप और हम जिस तरीके से जीते हैं शायद वो भी वैसे ही रहा करते थे और इसलिए आप और हम खुदको उनसे जोड़ पाते हैं। अपनी इसी सरल व्यक्तित्व के कारण वो आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं। शास्त्री जी की जयंती पर उनको याद करते हुए उनको सादर नमन।

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