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यूपी घूमने का बना रहे हैं प्लान, लखीमपुर खीरी में ही इतनी जगह है सरकार, पढ़िए

यूपी के एक छोटे से ज़िले लखीमपुर खीरी में कई पर्यटन स्थल हैं। यहां प्रदेश का इकलौता नेशनल पार्क, दुधवा नेशनल पार्क भी है। इसके साथ ही यहां पर कई ऐतिहासिक भवन, इमारतें और कई तरह की कारीगरी मौजूद है। हर साल यहां हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

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लखीमपुर खीरी में आपको ऐतिहासिक राजमहल भी देखने को मिलेगा। वहीं, आपको भुलभूलैया भी देखने को मिलेगी।जिले के तराई अंचल में बसा कस्बा खैरागढ़ एक समय पर राज्य की राजधानी भी रहा चुका है। उस समय की महारानी सुरथकुमारी ने 1920 के दशक में रामजमहल और 1924 के दशक में सरयू नदी के तट पर भूलभुलैया मंदिर का निर्माण कराया था।

यह सभी हमारी ऐतिहासिक धरोहर हैं, जिनको देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं। सरकार से लगातार इसे पर्यटन स्थलों की सूची शामिल किए जाने की मांग भी की जाती रही है, लेकिन अभी तक इसमे सफलता नहीं मिली है। कस्बे के दक्षिण की ओर तीन किलोमीटर दूर स्थित भूलभुलैया का निर्माण भी महारानी सुरथकुमारी ने करवाया था। इसके अलावा खैरीगढ़ के पास जंगल में किला गौरी शाह, काली माता मंदिर, व भूमिसरन बाबा भी ऐतिहासिक स्थल जिसका दृश्य काफ़ी मनमोहक लगता है और जिन लोगो को शांत जगह में घूमना पसंद है उन्हें यह जगह काफ़ी पसंद आयेगी।

खीरी जिले में दुधवा नेशनल पार्क से सटा किशनपुर है। किशनपुर इलाका वन संपदा को लेकर काफी समृद्ध है। पर्यटन स्थल के लिए यह काफी उपयुक्त और शांत जगह है। यहां अक्सर बाघ चहलकदमी करते हुए नज़र आ जाते हैं। बताया जाता है कि बाघों को भी यह जगह काफी पसंद है क्योंकि यह जगह शहर से दूर एकांत में है। दुधवा में बाघ देखने जाने वालों को भले ही बाघ न दिखे पर किशनपुर में अक्सर बाघ दिख जाते हैं।

शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओयल का मेढक मंदिर काफ़ी खूबसूरत और ऐतहासिक है। मंडूक तंत्र पर आधारित यह मंदिर पूरे प्रदेश का इकलौता शिव मंदिर है। इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं।देखने पर ऐसा लगता है कि यह पूरा मंदिर मेढक की पीठ पर बना हुआ है। आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण ओयल स्टेट के राजा ने कराया था।स्थापत्य कला का यह मंदिर ऐतिहाशिकता के साथ ही आस्था का केन्द्र भी है।इस शहर में घूमने आने वाले लोग मंदिर जाना नहीं भूलते हैं।

धौरहरा का श्रीराम वाटिका धाम वह पवित्र स्थल है,जहां 470 वर्ष पूर्व संत गोस्वामी तुलसीदास जी आए थे।इस स्थान पर रह कर उन्होंने श्रीराम चरित मानस के बालकांड की रचना की और वटवृक्ष लगाया था, जो आज तक कई वर्षों से उनके आने की गवाही देता रहा है।इस स्थान पर लोग अपने बच्चों के मुंडन संस्कार और उपनयन संस्कार जैसे शुभ काम भी करते हैं।यहां प्रत्येक वर्ष यज्ञ अनुष्ठान भी होता है।मुगल काल के प्रख्यात कवि संत गोस्वामी तुलसीदास जी की 513 वीं जयंती है और वहाँ के लोगों का मानना है कि संत तुलसीदास का धौरहरा से बहुत गहरा नाता है और बुजुर्गों के मुताबिक गोस्वामी तुलसीदास जी आज से 470 वर्ष पूर्व धौरहरा आए थे।

दुधवा उत्तर प्रदेश का इकलौता नेशनल पार्क है।यहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं। प्राकृतिक नजारा के लिए दुधवा काफी विख्यात है। सागौन के घनें जंगलों में पक्षियों का कलरव, हिरनों की उछलकूद और दुर्लभ प्रजाति के गैंडा भी यहां देखने को मिलते हैं। मस्ती करते हाथियों के झुंड लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अपना कुछ समय निकालकर आप सब दुधवा नेशनल पार्क के प्राकृतिक नजारों को देखने ज़रूर जाइए।

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