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सास-बहु और लोटा : यहां हुई अनूठी रेस, हाथ में ‘पानी का लोटा’ लेकर दौड़ीं महिलाएं, देखें वीडियो

भोपाल : भारत (India) में घर में टॉयलेट (toilet) होना एक बहुत ही संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामला जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार तो ग्रामीण इलाकों में बुज़ुर्ग ही विरुद्ध होते हैं। तो कई बार लोग खुद इतने सक्षम नहीं होते हैं कि इसका खर्च उठा सके। ऐसे में सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Mission) के चलते शौचालय बनाने का बीड़ा उठाया। लेकिन इसमें भी कुछ सरकारी मुलाज़िम अपने फायदे में लग जाते हैं। और ये स्वच्छ भारत का सपना पूरा नहीं हो पाता है। इसी वजह से स्वत्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में प्रशासन ने महिलाओं की एक ऐसी अनोखी दौड़ आयोजित की जिसमें वे लोटा लैकर दौड़ती नज़र आईं।

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भोपाल के फंदा कलां के एक मैदान का नज़ारा देखने लायक था। दरअसल यहां पर कई महिलाएं जिनमें सास-बहू और बेटियां सभी शामिल थीं। इस पार्क में सज-धजकर पहुंची थीं। लेकिन हैरान कर दने वाला दृश्य ये था कि महिलाओं के हाथों में कोई हैंडबैग नहीं बल्कि लोटे थे। ये लोटे उनकी उस मजबूरी का प्रतीक थे जिसके लिए उन्हें अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है। कभी सूरज के ढलने का तो कभी सूरज के उगने का। सजी-धजी इन महिलाओं के हाथों में लोटे देकर प्रशासन इनकी दौड़ प्रतियोगिता करा रहा था क्योंकि शौचालय बनाने के प्रति गांव वालों में जागरूकता फैलानी थी।

भोपाल के सटे गांव फंदा में जिला पंचायत ने शौचालय बनाने के लिए लोटा दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता को पहले शौचालय न होने की वजह से लोटे लेकर सुनसान जगह की तलाश में लगाई जाने वाली दौड़ का प्रतीक बताया गया। मंगलवार को हुई इस प्रतियोगिता में 18 सासों ने लोटा लेकर दौड़ लगाई। ताकि गाँव वाले ये समझ सकें कि खुले में शौच करने से इज्जत को तो खतरा है ही, साथी ही इससे बीमारियां भी फैलाती हैं।

दौड़ने वाली महिलाओं में 50 से 60 साल उम्र की बुजुर्ग महिलाएं शामिल थीं। 50 मीटर दौड़ने के बाद इन महिलाओं ने विनिंग प्वाइंट पर पानी से भरा लोटा फेंका और संदेश दिया कि बहुएं जिंदगी भर खुले में शौच न जाएं।

इस अनूठी दौड़ प्रतियोगिता में पहले स्थान पर राधा प्रजापति रहीं। वहीं दूसरे और तीसरे स्थान पर मंजू और अर्पिता प्रजापति क्रमशः रहीं। इन तीनों को उनकी बहुओं ने ही फूल माला और मेडल पहनाए। शौच के लिए लोटे लेकर दौड़ने में भले ही इन महिलाओं को शर्म आती थी लेकिन इस दौड़ में विजेता बनने पर सभी गौरवांवित महसूस करती दिखीं।

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