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ज्वाला देवी की ज्वाला का रहस्यमयी सच, क्या कभी बुझेगी यहां की ज्वाला ?

ज्वाला देवी की ज्वाला का रहस्यमयी सच: क्या कभी बुझेगी यहां की ज्वाला ?

(SWATI TRIPATHI)

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हिमाचल प्रदेश (HIMACHAL PRADESH) में स्थित ज्वाला देवी मंदिर एक ऐसा स्थल है जो रहस्यों और चमत्कारों से भरा पड़ा है। यहाँ वर्षों से एक प्राकृतिक ज्वाला जल रही है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इस ज्वाला का रहस्य अभी तक अनसुलझा है, और लोगों में इसके बारे में जानने की उत्सुकता बनी रहती है। ज्वाला देवी की ज्वाला कब शांत होगी, यह एक ऐसा प्रश्न है जो सभी के मन में है। आइए जानते हैं ज्वाला देवी मंदिर से जुड़ी कुछ अनोखी और रोचक बातें ।

Jwala Devi Shaktipeeth Info, History, How To Reach, Location

ज्वाला देवी मंदिर(JWALA DEVI TEMPLE) 51 शक्तिपीठों में से एक सबसे पवित्र और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इसे ज्वालामुखी के नाम से भी जाना जाता है। यहां की ज्वाला सदियों से जल रही है, जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, ज्वाला देवी की अग्नि कलयुग के अंत तक जलती रहेगी और तब ही शांत होगी।

इस मंदिर के इर्द-गिर्द कई रहस्य और कथाएं हैं, जो इसकी महत्ता को और भी बढ़ाती हैं। ज्वाला देवी की ज्वाला का रहस्य अभी तक अनसुलझा है, जो विज्ञान और पौराणिक कथाओं के बीच एक अनोखा संगम प्रस्तुत करता है।

आइए जानते हैं ज्वाला देवी से जुड़े कुछ अनोखे तथ्य और रहस्य। एक पवित्र और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है, जिसकी महत्ता पौराणिक कथाओं में निहित है। भगवान विष्णु द्वारा सती के शरीर के टुकड़े करने के बाद, उनकी जीभ इसी स्थान पर गिरी थी, जिससे यह स्थल शक्ति का प्रमुख केंद्र बन गया। इसी कारण से इस मंदिर का नाम ज्वाला देवी पड़ा।

Maa Jwala devi | Jwala Ji Temple Website | Himachal Pradesh

कैसे जलती है यहां की ज्वाला?

इस मंदिर की सबसे अनोखी और आकर्षक विशेषता यह है कि यहां प्राकृतिक रूप से जलने वाली ज्वाला वर्षों से बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के जल रही है। न तो तेल, न बाती, न कोई अन्य ईंधन – फिर भी यह ज्वाला सदियों से जलती आ रही है, जो श्रद्धालुओं को आश्चर्यचकित करती है। यह प्राकृतिक चमत्कार ज्वाला देवी की शक्ति और महत्ता का प्रमाण है, जो इस मंदिर को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाता है।

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क्या कभी होगी ज्वाला देवी की ज्वाला शांत

ज्वाला देवी मंदिर की एक पौराणिक कथा बताती है कि गोरखनाथ नामक एक सच्चे भक्त ने मां ज्वाला की आराधना की थी। उनकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर मां ज्वाला ने उन्हें दर्शन दिए। गोरखनाथ ने माता से कहा कि उन्हें भूख लगी है और वे भिक्षा मांगकर वापस आएंगे, और माता से आग्रह किया कि वे अग्नि जलाकर रखें। माता ने उनकी बात मानी, लेकिन गोरखनाथ की वापसी नहीं हुई।

तब से मां ज्वाला अपने भक्त की प्रतीक्षा कर रही हैं, और उनकी ज्वाला सदियों से जल रही है। यह मान्यता है कि कलयुग के अंत तक मां ज्वाला गोरखनाथ की वापसी की प्रतीक्षा करेंगी, और उनकी ज्वाला तब तक जलती रहेगी। यह कथा मां ज्वाला की शक्ति और भक्तों के प्रति उनकी कृपा को दर्शाती है, और सच्ची भक्ति की महत्ता को प्रकट करती है।

Maa Jwala Devi Shakti Peeth - Reviews, Photos - Jawala Ji Temple  Shaktipeeth - Tripadvisor

माँ के मंदिर के पास है एक चमत्कारी कुंड

ज्वाला देवी मंदिर के आसपास कई आकर्षक और चमत्कारी स्थल हैं, जिनमें से एक गोरखनाथ का मंदिर है, जो मां ज्वाला के सच्चे भक्त की याद में बनाया गया है। इसके अलावा, यहां एक चमत्कारी कुंड भी है, जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। इस कुंड की एक अनोखी विशेषता है – दूर से देखने पर इसका पानी अत्यधिक गर्म प्रतीत होता है, लेकिन जब आप इसके पास पहुंचकर पानी को स्पर्श करते हैं, तो आपको यह पानी बहुत ठंडा लगता है।

यह चमत्कारी कुंड श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और इसकी अनोखी विशेषता को देखने के लिए लोग उत्सुक रहते हैं। गोरख डिब्बी कुंड की यह विशेषता विज्ञान और पौराणिक कथाओं के बीच एक अनोखा संगम प्रस्तुत करती है, जो इस स्थल को और भी पवित्र और आकर्षक बनाती है।

Maa Jwala devi | Jwala Ji Temple Website | Himachal Pradesh

अकबर(AKBAR) को टेकाना पड़ा माँ के आगे सर ।

मां ज्वाला जी की ज्वाला की अलौकिक शक्ति की कहानियां पूरे इतिहास में फैली हुई हैं। एक ऐसी ही कहानी मुगल सम्राट अकबर से जुड़ी है, जिन्होंने ज्वाला को बुझाने का प्रयास किया था। अकबर ने जब ज्वाला मंदिर में जलती हुई ज्वाला के बारे में सुना, तो वह देखने के लिए मंदिर पहुंचे। उन्होंने ज्वाला को बुझाने के लिए कई प्रयास किए, जिसमें पानी डालना भी शामिल था। लेकिन, ज्वाला देवी की ज्वाला जलती ही रही, जिससे अकबर आश्चर्यचकित और खुश हुआ।

अकबर ने इस चमत्कार को देखकर मां ज्वाला की शक्ति को स्वीकार किया और उन्हें सोने का छत्र भेंट किया। लेकिन, मां ज्वाला ने यह भेंट स्वीकार नहीं की, जिससे यह सोने का छत्र बदलकर अन्य धातु में परिवर्तित हो गया। यह घटना मां ज्वाला की अलौकिक शक्ति और उनकी शक्ति का प्रमाण है, जो आज भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।

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