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नागरिकता अधिनियम की धारा 6A पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बरकरार रहेगी संवैधानिक वैधता

सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से नागरिकता कानून की धारा 6A को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी संवैधानिकता को बरकरार रका है। पांच जजों की पीठ में से 4 जजों ने फैसले का समर्थन किया, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई।

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मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्यों को बाहरी खतरों से बचाना केंद्र सरकार का कर्तव्य है। आर्टिकल 355 के तहत कर्तव्य को अधिकार मानना नागरिकों और अदालतों को आपातकालीन अधिकार देगा, जो विनाशकारी होगा। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से लिए गए अपने फैसले में नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। आपको बता दें कि इसके तहत असम में प्रवासियों को नागरिकता प्रदान होती है।

 

यह फैसला 4:1 से पारित हुआ। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस मनोज मिश्रा ने इसकी वैधता पर सहमति जताई।  सिर्फ एक जज जस्टिस पारदीवाला ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि धारा 6ए लागू किए जाने के समय कानून वैध हो सकता है लेकिन यह समय के साथ अस्थायी रूप से त्रुटिपूर्ण हो सकता है।

 

सर्वोच्च अदालत ने फैसले में कहा कि असम में प्रवेश और नागरिकता प्रदान करने के लिए 25 मार्च, 1971 तक की समय सीमा सही है। किसी राज्य में विभिन्न जातीय समूहों की उपस्थिति का मतलब अनुच्छेद 29(1) का उल्लंघन नहीं है। इस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से यह स्वीकार कर लिया की इसकी वैधता बनी रहनी चाहिए।

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