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जानें करवाचौथ से जुड़ी हर छोटी बात, पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, सामग्री और चंद्रोदय का समय

लखनऊ : मौसम में त्योहारों की खुशबू आ गई। सजी हुई बाज़ारों से देश भर में रौनक है। आज यानी 24 अक्टूबर को देश ही बल्कि विदेशों में भी करवाचौथ (Karwachauth) का त्योहार मनाया जाएगा। सभी सुहागिने हर साल इस पर्व के लिए तमाम तरह की तैयारियां करती हैं। करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर अपनी पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। बता दें कि करवाचौथ के इस व्रत को करक चतुर्थी, दशरथ चतुर्थी, संकष्टि चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

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करवाचौथ की पूजा में करवा माता के साथ मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश भगवान का भी पूजन किया जाता है। सुहागिन महिलाएं आज के दिन का पूरे साल इंतज़ार करती हैं। इस दिन सुहाग से जुडी चीज़ों का महत्व और भी बढ़ जाता है। सुहागिन महिलाएं आज के दिन पूजा और करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत व्रत का पारण करती हैं। फिर अपने पति का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। आज हम आपको बताते हैं करवाचौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय, पूजन सामग्री और पूजा विधि।

पूजन का शुभ मुहूर्त

चतुर्थी आरंभ- 24 अक्तूबर प्रातः 3:01 मिनट से
चतुर्थी समाप्त- 25 अक्तूबर प्रातः 5:43 मिनट तक।

चंद्रोदय का समय

24 अक्तूबर को रात 8:12 मिनट पर चंद्रोदय होगा। देश के अलग-अलग हिस्सों में चांद के निकलने का समय थोड़ा आगे पीछे रहेगा।

करवा चौथ पूजा-विधि

  • जहां आपको करवाचौथ की पूजा करनी हो वहां आप गेहूं से फलक बनाएं और उसके बाद चावल पीस कर करवा की तस्वीर बनाएं।
  • इसके बाद आठ पूरियों कि अठवारी बनाकर उसके साथ हलवा या खीर बनाएँ। इसके बाद पक्का भोजन तैयार करें।
  • अब आप पीले रंग की मिट्टी से गौरी कि मूर्ति का निर्माण करें। साथ ही उनकी गोदे में गणेश जी को विराजित कराएं।
  • अब मां गौरी को चौकी पर स्थापित करें। उन्हें लाल रंग कि चुनरी ओढ़ा कर शृंगार का सामान अर्पित करें।
  • अब विधिपूर्वक गणेश गौरी पूजा करें और करवाचौथ की कथा सुनें।
  • कथा सुनते समय हाथ पर गेहूं या चावल के 13 दाने लेकर कथा सुनें।
  • कथा समाप्त होते ही गेहूं या चावल के दानों को पूजा स्थल पर छिड़क दें।
  • पूजा करने के उपरांत चंद्रमा निकलते ही उसे अर्घ दें।
  • इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपने व्रत का उद्यापन करें।

पूजा सामग्री की लिस्ट

करवाचौथ की पूजा में चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि की ज़रूरत होती है।

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