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कंगना विवाद पर महात्मा गाँधी के प्रपौत्र तुषार ने एक्ट्रेस पर साधा निशाना, बोले “गाँधी बनने के लिए चाहिए साहस “

लखनऊ/नई दिल्ली

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बॉलीवुड (Bollywood) की जानी-मानी एक्ट्रेस कंगना रणौत (Kangana Ranaut) और विवादों का हमेशा से ही चोली दामन का साथ रहा है। हमेशा ही कुछ न कुछ विवादों से घिरी रहने वाली कंगना की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते दिनों कंगना ने देश की आजादी और महात्मा गाँधी (Mahatama Gandhi) को लेकर कई बयान दिए थे, जिसके बाद से उनकी जमकर आलोचना होना शुरू हो गई थी और जिसका सिलसिला अभी तक जारी है। सियासी दलों से लेकर सोशल मीडिया तक सभी अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं देते नजर आ रहे हैं। इसी क्रम में अब महात्मा गाँधी के प्रपौत्र (Great Grandson) तुषार गांधी (Tushar Gandhi) ने उनपर जमकर निशाना साधा है।

फोटो : इंटरनेट

कंगना पर विवाद क्यों?

बता दें कुछ दिन पूर्व कंगना ने महात्मा गाँधी को लेकर कहा था कि इन्होंने हमें सिखाया है कि यदि कोई एक थप्पड़ मारता है, तो आप एक और थप्पड़ के लिए दूसरा गाल देते हैं। इस तरह आपको आजादी मिलेगी। इस तरह से किसी को आजादी नहीं मिलती है, उसे केवल भीख मिल सकती है। अपने हीरो को बुद्धिमानी से चुनें।”

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तुषार ने अपने लेख में साधा कंगना पर निशाना

वहीं महात्मा गाँधी के विचारों और देश की आज़ादी में उनके योगदान पर मजाक उड़ाने के लिए उनके प्रपौत्र तुषार गांधी ने जवाब देते हुए एक लेख लिखा है, जिसका शीर्षक है ‘दूसरे गाल बढ़ाने के लिए गांधी से नफरत करने वालों की तुलना में अधिक साहस की आवश्यकता होती है’। उन्होंने एक्ट्रेस पर निशाना साधते हुए लिखा कि “जो लोग यह आरोप लगाते हैं कि गांधीवादी केवल दूसरा गाल घुमाते हैं और इसलिए कायर हैं, वे इतने बहादुर होने के लिए आवश्यक साहस को नहीं समझ सकते हैं। वे इस तरह की वीरता को समझने में असमर्थ हैं।” उन्होंने आगे लिखा कि “दूसरा गाल बढ़ाना कायरता का कार्य नहीं है। इसमें बहुत साहस लगता है। उस समय के भारतीयों ने इसे बहुतायत में प्रदर्शित किया। वे सभी नायक थे। कायर वे थे जो अपने आकाओं के कोट पर लटके हुए थे। जिन्होंने व्यक्तिगत लाभ के लिए ताज पर दया और क्षमादान की याचना करने से पहले एक पलक नहीं झपकाई।”

आपको बता दें अपने लेख में महात्मा गाँधी के प्रपौत्र ने आगे लिखा कि “बापू भिखारी कहलाने का स्वागत करेंगे। अपने राष्ट्र और उसके लोगों के लिए, उन्होंने भीख मांगने में कोई आपत्ति नहीं की। उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री द्वारा “अर्ध-नग्न फकीर” के रूप में बर्खास्त किए जाने की सराहना की। अंततः ब्रिटिश क्राउन ने आत्मसमर्पण कर दिया।वह फकीर थे। झूठ कितना भी जोरदार हो और सच्चाई की आवाज कितनी भी धुंधली क्यों न हो, सच्चाई कायम रहती है। कुछ झूठों को इन दिनों जवाब दिया जाना है।”

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