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धनतेरस और दिवाली पर मां लक्ष्मी के इन 8 स्वरूपों की करें पूजा, दूर हो जाएगी दरिद्रता

अगर आप भी अपनी गरीबी दूर करना चाहते हैं और चाहते हैं कि आपका खजाना भरा रहे तो फिर इस धनतेरस और दिवाली पर मां लक्ष्मी के इन 8 स्वरूपों की पूजा जरूर कीजिए। अगर विधि विधान से आपने मां लक्ष्मी के इन सभी 8 स्वरूपों की पूजा कर दी तो फिर आपको धनी बनने से कोई नहीं रोक पाएगा। इस बार आपका धनी होना तय है। कौन हैं ये 8 स्वरूप चलिए जान लीजिए।

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आदि लक्ष्मी

मां लक्ष्मी का यह पहला स्वरूप माना जाता है। यह मां लक्ष्मी का पूर्ण स्वरूप भी है। आदि लक्ष्मी। पहली पूजा आदि लक्ष्मी की ही होती है। इन्हें महालक्ष्मी भी कहते हैं। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार आदि लक्ष्मी ने ही इस खूबसूरत सृष्टि की रचना की थी. इन्हीं से त्रिदेव और महाकाली, लक्ष्मी और महासरस्वती प्रकट हुई थी. चूंकि मां लक्ष्मी का यह स्वरूप सृष्टि के अवतार का स्वरूप है इसलिए इसकी पूजा करने से आपको मोक्ष प्राप्त होता है। आपकी हर सिद्धि पूरी होती है।

 

धन लक्ष्मी

देवी मां का दूसरा स्वरूप धन लक्ष्मी है। मां को धन की देवी भी कहा जाता है। इसलिए धनतेरस पर हमेशा ही मां लक्ष्मी की पूजा की बात की जाती है। दिवाली पर भी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। आपके जीवन में हर धन वैभव जो भी है या जो आने वाला है सबकुछ धन लक्ष्मी की कृपा से ही संभव होना है। इसलिए मां के इस स्वरूप की पूजा जरूर करें।

 

धान्य लक्ष्मी

अक्सर आपने सुना होगा धन-धान्य। यह वही शब्द है। धन लक्ष्मी के बाद मां का अगला स्वरूप है धान्य लक्ष्मी का। इसका मतलब है अन्न संपदा। मां का एक नाम अन्नपूर्णा भी है। हर घर में धान्य लक्ष्मी जी अन्न के रूप में विराजमान हैं। कहा भी जाता है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में खेती से उपजा अन्न ही हमारा धन है। ऐसे में धान्य लक्ष्मी की पूजा अनिवार्य है।

 

गज लक्ष्मी

मां का चौथा स्वरूप गज लक्ष्मी है। इस रूप में मां गज यानी हाथी के ऊपर कमल पर विराजमान दिखती हैं। मां का यह स्वरूप ममतामयी स्वरूप है। अगर आपको पुत्र रत्न चाहिए तो इस स्वरूप की पूजा शुरू कर दीजिए।

 

संतान लक्ष्मी

गज लक्ष्मी की तरह ही यह भी मां का एक विस्तार और करुणामयी स्वरूप हैा। संतान लक्ष्मी। इसे स्कंदमाता भी कहते हैं। आपने कुछ तस्वीरों में देखा होगा कि मां जिनके चार हाथ हैं, वे गोद में कुमार स्कंद को बालक रूप में लेकर बैठी हुई हैं. माना जाता है कि संतान लक्ष्मी भक्तों की रक्षा अपनी संतान के रूप में करती हैं. संतान ना हो तो भी मां के इस स्वरूप की पूजा करें, संंतान अवश्य होगी।

 

वीर लक्ष्मी

मां का हर एक स्वरूप भक्तों को कुछ न कुछ देता है। वीर लक्ष्मी मां का वह स्वरूप है जो अपने भक्तों को साहस, शक्ति, पराक्रम से लैस करता है। दुश्मनों को हरा देने वाला, अंदर से जोश भरने वाला, मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत करने वाला, यह स्वरूप है। इसकी पूजा अवश्य करें।

 

विजय लक्ष्मी

मां का वह स्वरूप जो अपने भक्तों को विजय दिलाने के लिए है। भक्तों को पराजय से निकालने के लिए है। उन्हें सही पथ दिखाने के लिए है। इसलिए मां के इस विराट स्वरूप का दर्शन और पूजन जरूर करें।

 

विद्या लक्ष्मी

इसे आप मां शारदे से भी जोड़ सकते हैं। विद्या प्रदान करने वाली माता। ज्ञान, कला और कौशल देने वाली माता। हर स्टूडेंट को मां के इस स्वरूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

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