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88 हजार करोड़ के नोट गायब? 500 के थे ये नोट, मचा हड़कंप…!

पहले 2000 रुपये के नोट बंद हुए और अब 88 हजार करोड़ रुपये की कीमत के 500 के नोट गायब हो गए हैं। जी हां, अभी तक आपने नकली नोटों की छपाई या नोटों की जालसाजी की खबरें तो ही सुनी होंगी लेकिन देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि 88 हजार करोड़ रुपये के 500 के नोट ही गायब हो गए हैं। आखिर कहां गए ये नोट? इतनी कीमत के नोट कैसे गायब हो सकते हैं? इस खबर के आने के बाद से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है।

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RTI एक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय ने ये जो खुलासे किए हैं, उसने पूरे देश को हिला दिया है। चलिए इस वीडियो में हम आपको एक-एक करके सारी जानकारी देते हैं कि कैसे अपने देश में नोटों की छपाई होती है, कैसे इसका वितरण होता है और क्या यह संभव है कि इतने सारे नोट गायब हो जाएं?

दरअसल, अपने देश में तीन सरकारी टकसालों भारतीय रिजर्व बैंक बेंगलुरु, करेंसी नोट प्रेस, नासिक और देवास में बैंक नोट प्रेस में अपने मुद्रा नोटों को प्रिंट करता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में आगे वितरण के लिए उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक की तिजोरियों में भेजता है।

एक्टिविस्ट मनोरंजन रॉय द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, 500 रुपये के नए डिज़ाइन किए गए 375.450 मिलियन नोट करेंसी नोट प्रेस, नासिक द्वारा मुद्रित किए गए थे, लेकिन आरबीआई के रिकॉर्ड में अप्रैल के बीच केवल 345. मिलियन प्रिंट प्राप्त हुए।

RTI सूचना में हुआ खुलासा

पिछले महीने एक अन्य आरटीआई जवाब में करेंसी नोट प्रेस नासिक ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2015-2016 (अप्रैल 2015-मार्च 2016) के लिए 500 रुपये के 210. मिलियन नोट आरबीआई को आपूर्ति किए गए थे जब रघुराम राजन आरबीआई के गवर्नर थे।

करेंसी नोट प्रेस, नासिक की रिपोर्ट ने दिखाया है कि नए डिज़ाइन किए गए 500 रुपये के करेंसी नोट केंद्रीय बैंक को आपूर्ति किए गए थे. लेकिन आरबीआई की सार्वजनिक डोमेन वार्षिक रिपोर्ट में नए डिज़ाइन के साथ 500 रुपये के नोट प्राप्त करने का उल्लेख नहीं है।

भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण (पी) लिमिटेड, बेंगलुरु ने आरबीआई को 500 रुपये के 5,195.65 मिलियन नोटों की आपूर्ति की और बैंक नोट प्रेस देवास ने 2016-2017 में आरबीआई को 1,953.000 मिलियन नोटों की आपूर्ति की.लेकिन आरबीआई को केवल 7,260 नोट मिले तीनों प्रिंटिंग प्रेस से नए डिजाइन के 500 रुपये के नोट के पीस बेमेल है. क्योंकि नए डिज़ाइन किए गए 500 रुपये के नोट के 8,810.65 मिलियन पीस तीनों टकसालों द्वारा मुद्रित किए गए थे. लेकिन आरबीआई को केवल 7,260.000 पीस प्राप्त हुए।

RBI और टकसालों के आँकड़ो में बड़ा हेरफेर

ऐसे में ये बहुत बड़ा अंतर है। इस पर आरटीआई एकिटिविस्ट मनोरंजन रॉय कहते हैं., “शीर्ष बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के प्रति उदासीन है, टकसालों में छपे उच्च मूल्य वाले भारतीय करेंसी नोटों और आरबीआई की तिजोरियों में प्राप्त कुल नोटों में इतना बड़ा अंतर है लापता 1,760.65 मिलियन कोई मज़ाक नहीं है। यह हमारी भारतीय अर्थव्यवस्था और इसकी स्थिरता के बारे में सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाता है।

बताया जा रहा है कि, नए डिजाइन वाले 500 रुपये के जो लाखों नोट गायब हुए हैं, उनकी वैल्यू 88,032.5 करोड़ रुपये है। मिली जानकारी के अनुसार, तीनों छापेखानों ने मिलकर नए डिजाइन वाले 500 रुपये के 881.065 करोड़ नोट छापे, लेकिन रिजर्व बैंक को इनमें से 726 करोड़ नोट ही मिले।


रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरटीआई एटिविस्ट रॉय ने ये आंकड़े सेंट्रल इकोनॉमिक इंटेलीजेंस ब्यूरो और ईडी को भी भेजा है। उन्होंने इस गड़बड़ी की जांच करने की मांग की है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर इतनी अधिक कीमत के ये नोट गए कहां? कौन लेगा इसकी जिम्मेदारी।

इस बीच मीडिया में ये खबर आने के बाद जब देश में हड़कंप मचा तो RBI ने इस पर अपनी सफाई दे दी। RBI ने कहा है कि RTI से जो जानकारी मिली है उसका गलत मतलब निकाला गया है. मीडिया रिपोर्ट्स सही नहीं हैं. आरबीआई ने कहा है, सूचना की गलत व्याख्या की गई है. रिजर्व बैंक के पास प्रिंटिंग प्रेस से आरबीआई को आपूर्ति किए गए सभी बैंक नोटों का उचित हिसाब है। इसलिए लोगों से अनुरोध है कि ऐसे मामले में रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर प्रकाशित होने वाली सूचनाओं पर ही भरोसा करें।

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