Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu
Hindi English Marathi Gujarati Punjabi Urdu

मैं जन्म से ही दृष्टिहीन हूं, फिर भी सारे वेद याद हैं मुझे, प्रभु का और कौन सा चमत्कार देखना चाहते हो मीडिया वालों ..?

पिछले कुछ दिनों से सारे मीडिया चैनल दैवी शक्तियों , आध्यात्मिक शक्तियों के अस्तित्व और उनके अविश्वसनीय चमत्कारों की वैज्ञानिक समीक्षा लाइव कर रहे हैं। एक नेशनल चैनल पर चल रही डिबेट के समय सभी पैनलिस्ट सकते में आ गए जब जगतगुरु रामभद्राचार्य ने एंकर से कहा – ‘मैं जन्म से दृष्टिहीन हूं, फिर भी सभी वेद कंठाग्र हैं मुझे। डेढ़ लाख से अधिक पन्ने कंठस्थ हैं। अब और कौन सा चमत्कार देखना चाहती हो बेटी?’

- Advertisement -

 

दरअसल, आजकल बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को लेकर कई तरह के आरोप लग रहे हैं। इन आरोपों के बहाने आध्यात्मिक शक्तियों को भी कुछ लोग चुनौती दे रहे हैं और उन पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इस मामले को लेकर एक टीवी डिबेट के दौरान जब जगतगुरु रामभद्राचार्य जी ने जब अपने बारे में जानकारी दी कि कैसे जन्म से ही दृष्टिहीन होने के बावजूद आज उन्हें सभी वेद कंठस्थ हैं तो सभी लोग चकित रह गए।

 

बहुत कम लोगों को पता होगा कि सिर्फ 2 महीने की उम्र में ही जगतगुरु रामभद्राचार्य जी के आंखों की रोशनी चली गई थी। लेकिन आज उन्हें 22 भाषाएं आती हैं। इतना ही नहीं वे अब तक 80 से अधिक ग्रंथ रच चुके हैं। चलिए उनके बारे में विस्तार से आपको बताते हैं।

 

जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था। इनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। हिंदू धर्मगुरु होने के साथ-साथ ये प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु भी हैं। रामानन्द सम्प्रदाय से आते हैं और यहां वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से वे एक हैं। 1988 से वे इस पद पर प्रतिष्ठित हैं।

 

2015 में मिला था पद्मविभूषण

वर्तमान समय की बात करें तो वे चित्रकूट में रहते हैं। यहां वे जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति भी हैं। संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में वे रचनाएं कर चुके हैं। वे चार महाकाव्य भी रच चुके हैं। इनमें हिंदी के साथ संस्कृत का भी महाकाव्य शामिल है। 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया था।

 

बोलकर लिखवाते हैं रचनाएं

आंखों की रोशनी नहीं होने के कारण जगद्गुरु रामभद्राचार्य ना पढ़ सकते हैं और ना ही लिख सकते हैं। उन्होंने ये सभी रचनाएं बोलकर लिखवाई हैं। यही वजह है कि जब चमत्कार पर सवाल उठा तो उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए मीडियाकर्मियों से ही पूछ डाला कि आखिर अब कौन सा चमत्कार देखना बाकी है..।

 

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

The specified carousel is trashed.

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड ड्रग्स केस में और भी कई बड़े सितारों के नाम सामने आएंगे?

View Results

Loading ... Loading ...

आज का राशिफल देखें