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इन 7 आकाओं ने संभाली हुई है तालिबान की कमान, जो कर रहे हैं अफगान में कत्ले-ए-आम !

लखनऊ : 20 साल बाद अफगानिस्तान की सरज़मीं पर खूखांर आतंकी संगठन तालिबान काबिज़ हो चुका है। तालिबान के इस बढ़ते हौसले को देखकर पूरी दुनिया सख्ते में है। जहां एक तरफ चीन और रूस ने अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए हामी भर दी है। तो वहीँ कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्होंने फ़िलहाल इससे इंकार कर दिया है। लेकिन तालिबानी लड़ाके ताजपोशी के लिए बेहद बेताब हैं।

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ऐसे में देखना यह होगा कि इस आतंकी संगठन की सरकार का नेतृत्व कौन करेगा और वह कौन से चहरे हैं जिनके नेतृत्व में तालिबान ने इतनी जल्दी पूरे अफगानिस्तान को अपनी गिरफ्त में ले लिया। आज हम आपको आतंक के इन आकाओं के बारे में बताएंगे जिनकी बदौलत आज तालिबान का अफगानिस्तान में कत्ले-ए-आम चल रहा है।

हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा

यह शख्स तालिबान का सुप्रीम कमांडर है। 1961 में जन्मे हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने साल 2016 में आतंकी संगठन तालिबान की कमान संभाली थी। जिसके बाद से तालिबानियों के लिए इसका फैसला ही आखिरी फैसला होता है। इससे पहले हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा पाकिस्तान की एक मस्जिद में पढ़ाता था लेकिन तालिबान के संपर्क में आने के बाद वह तालिबानी आतंकी बन गया। यह तालिबान का तीसरा कमांडर है।

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर

यह तालिबान का उप नेता है और सबसे पॉपुलर चेहरा मन जाता है। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान की पॉलिटिकल यूनिट का मुखिया है। अफगानिस्तान का राष्ट्रपति बनने की दौड़ में सबसे बड़ा दावेदार है। यह मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडर्स में से एक रहा है। बरादर ने 1980 के दशक में सोवियत सेना के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन में लड़ाई लड़ी थी।

सिराजुद्दीन हक्कानी

यह अपने पिता के बनाए आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क का मुखिया है। 2016 में हक्कानी नेटवर्क का तालिबान में विलय हो गया था। अब सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान का उप नेता है। हक्कानी तालिबान के वित्तीय संसाधनों का जिम्मा संभालता है। यह कई हाई प्रोफाइल हमलों का जिम्मेदार रहा है और अमेरिकी लिस्ट में मोस्ट वांटेड है।

मोहम्मद याकूब

याकूब तालिबान संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है। यह तालिबान के मिलिट्री डिवीजन की कमान संभालता है। याकूब तालिबान की मौजूदा लीडरशिप में सबसे नरमपंथी रवैये वाला नेता है। इसने तालिबान और अल-कायदा के कट्टरपंथी मदरसों में तालीम हासिल की है। जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मसूद अजहर की देखरेख में इसने गुरिल्ला लड़ाई सीखी और हथियारों की ट्रेनिंग ली है।

अब्दुल हकीम हक्कानी

यह तालिबान की शांति वार्ता टीम का सदस्य है। हकीम हक्कानी तालिबान की न्यायिक विभाग का प्रमुख और न्याय व्यवस्था का जिम्मेदार है। यह तालिबान के सुप्रीम कमांडर का दाहिना हाथ है। तालिबान के शासन के लिए दिशा निर्देश बनाने की अहम जिम्मेदारी यही उठाता है।

शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई

यह तालिबान सरकार में उप मंत्री रह चुका है। 2015 में इसे तालिबान के राजनीतिक दफ्तर का प्रमुख बनाया गया था। अफगान शांति वार्ता में प्रमुख वार्ताकार रहा है। यह तालिबान में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा है। इसने राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री ली है।

जबीहुल्लाह मुजाहिद

यह तालिबान का मुख्य प्रवक्ता है। काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद इसने ही सबसे पहले मीडिया ब्रीफिंग की थी और बताया था कि अफगानिस्तान की नई सरकार कैसी होगी। वह 20 सालों से फोन पर मैसेज के जरिए पत्रकारों से बात करता रहा है।

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