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आखिर शिंदे को क्या हासिल होगा अयोध्या दौरे से ?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) अयोध्या के दौरे पर हैं। शिंदे मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार अयोध्या आये हैं। उनके साथ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फणडवीस के अलावा कई कद्दावर मंत्री भी इस दौरे में शामिल हैं। आपको बता दें शिंदे के अयोध्या दौरे की पटकथा बहुत पहले लिखी जा चुकी थी, इस कार्यकर्म की घोषणा संभाजी नगर (पूर्व में औरंगाबाद) में एक महाविकास अघडी रैली के तुरंत बाद की गई थी, तब महाराष्ट की सत्ता बालासाहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के हाथ में थी।

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रैली में उद्धव ठाकरे, जिन्होंने सहयोगी दलों एनसीपी और कांग्रेस के साथ मंच साझा किया, उन्होंने भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ तीखे हमले किये थे। उन्होंने वीर सावरकर पर भाजपा के ‘दोहरे मापदंड’ पर सवाल उठाया था।उद्धव ठाकरे ने यह भी पूछा था कि अगर पीएम मोदी और भाजपा इतने मजबूत हैं तो हिंदू समाज के नेतृत्व में हिंदुओं को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है। एकनाथ शिंदे ने महाविकास अघाड़ी सरकार के दौरान आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या का दौरा किया था।

भाजपा के ‘दोहरे मापदंड’ पर उठाये सवाल 

उस वक्त पार्टी के कई विधायकों से राज्यसभा चुनाव के लिए अचानक अयोध्या दौरा रद्द करने को कहा गया था। पार्टी के विधायकों में नाराज़गी थी। कुछ महीने बाद शिंदे ने बगावत कर नई सरकार बनाई। उसके बाद शिंदे ने ऐलान किया था कि वह अयोध्या के दौरे पर जाएंगे।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि, इस दौरे से एकनाथ शिंदे को क्या हासिल होगा? मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके विधायकों ने उद्धव ठाकरे से अलग होने की वजह को लेकर बार-बार कहा है कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर हिंदुत्व को छोड़ दिया था।

एकनाथ शिंदे अक्सर यह भी कहते रहे हैं कि, वे बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व के उन विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं, जिन्हें उद्धव ठाकरे छोड़ गए थे

एकनाथ शिंदे को क्या हासिल होगा?

माना जा रहा है कि, अयोध्या दौरे के जरिए हिंदुत्व नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर उभारने का वो प्रयास करेंगे। राजनीतिक पंडितों के अनुसार, महाराष्ट्र में हिंदुत्व नेता के रूप में एकनाथ शिंदे को बढ़ावा देना 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले राज्य भर में उद्धव ठाकरे सेना को जमीनी स्तर पर खत्म करने के लिए है। हालांकि एकनाथ शिंदे के अयोध्या के दो दिवसीय दौरे को शिवसेना के कार्यक्रम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक बीजेपी इसे भव्य बनाने में अहम भूमिका निभा रही है।

वहीं सीएम शिंदे ने कहा, “अयोध्या में राम मंदिर हमारे गुरु और विचारक बाल ठाकरे का सपना था। अयोध्या की मेरी यात्रा बालासाहेब ठाकरे के सपने को आगे बढ़ाएगी। चुनाव आयोग के नतीजे आने के बाद शिंदे को ‘धनुष बाण’ चुनाव चिन्ह मिला है, इसलिए भी इस यात्रा को ‘धनुष बाण यात्रा’ कहा जा रहा है. एकनाथ शिंदे के चुनाव चिन्ह के प्रतीक राम की जन्मभूमि अयोध्या में महंत द्वारा नमन किया जाएगा।

इस दौरे के बाद दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के समाधि स्थल पर धनुष बाण ले जाया जाएगा और धनुष और बाण के प्रतीक चिन्ह को पूरे राज्य में प्रचारित किया जाएगा।

अयोध्या के एक संत का कहना है की “बालासाहेब ठाकरे एकमात्र ऐसे नेता थे जिनके नाम के पहले ‘हिन्दूहयस्मृत’ लगा था। उद्धव ठाकरे कांग्रेस के साथ चले गए और धर्म के मुद्दे को टाल गए। धनुष्य बाण बालासाहेब ठाकरे का प्रतीक है। हम एकनाथ शिंदे को उनके हिंदुत्व विचारों को आगे बढ़ाने के लिए धनुष और बाण से आशीर्वाद देने जा रहे हैं।”

शिंदे की शिवसेना को ठाकरे गुट ने विश्वासघाती और भ्रष्टाचार में लिप्त बताया है। उद्धव ठाकरे लगातार कह रहे हैं कि, उनकी सरकार में अहम पद दिए जाने के बावजूद शिंदे ने उन्हें और शिवसेना को धोखा दिया।

शिंदे के अयोध्या दौरे के बारे में आदित्य ठाकरे ने कहा, “क्या कलियुग आ गया है, रावण राज्य के शासक अयोध्या दौरे पर गए हैं, लेकिन हम जल्द ही राज्य में राम राज्य लाएंगे। ”

ठाकरे जिस तरह से लगातार शिंदे पर विश्वासघात के आरोप लगा रहे हैं, उससे आगामी चुनावों में शिंदे के ख़िलाफ़ भावनात्मक माहौल बन सकता है।

महाराष्ट्र के वरिष्ठ पत्रकार संदीप प्रधान कहते हैं, “ठाकरे समूह एकनाथ शिंदे और उनके विधायकों को देशद्रोही और विश्वासघाती बताकर उनकी छवि ख़राब करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन एकनाथ शिंदे अयोध्या दौरा और सावरकर जैसे मुद्दों को लेकर आलोचना को हिंदुत्व का लेप देने की कोशिश कर रहे हैं।”

“शिंदे का दौरा हिंदुत्व के मुद्दे को केंद्र में रखने की कोशिश हो सकती है। यदि हिंदुत्व का मुद्दा केंद्र में आता है, तो अन्य भावनात्मक मुद्दे पीछे हट जाएंगे और शिंदे की शिवसेना को आगामी चुनावों में लाभ होगा।

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