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बीजेपी से क्यों बागी हुए पवन सिंह, पर्दे के पीछे की असली कहानी ये है

भोजपुरी के पावर स्टार पवन सिंह बागी हो गए हैं। बीजेपी के खिलाफ पवन सिंह की बगावत को लेकर खूब चर्चाए हैं। इस समय भोजपुरी के सभी बड़े स्टार चाहें रवि किशन हों, मनोज तिवारी या निरहुआ सभी बीजेपी में हैं लेकिन पवन सिंह बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उन्होंने अपनी सीट का ऐलान भी खुद कर दिया है। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर पवन सिंह ने बीजेपी से बगावत क्यों की जबकि बीजेपी ने उन्हें पहले ही टिकट दे दिया था। दूसरी बात ये  कि क्या बीजेपी से बगावत करने के बाद पवन सिंह अपना राजनीतिक भविष्य बचा पाएंगे या फिर इस चुनाव के साथ उनकी राजनीतिक पारी का द एंड हो जाएगा. इस वीडियो में हम लोग विस्तार से पवन सिंह और उनके राजनीतिक भविष्य को समझने की कोशिश करेंगे।

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आप सबको मालूम है कि बीजेपी ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल से टिकट दिया था। लेकिन पवन सिंह ने निजी कारण बताते हुए वहां से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि पवन सिंह बिहार में किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे और अचानक से बंगाल से टिकट मिलने के कारण उन्होंने वहां चुनाव लड़ने से मना किया था। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में उनका चुनाव लड़ने के ऐलान के साथ ही उनके कुछ गानों का तथाकथित वीडियो वायरल कर भी सोशल मीडिया पर विपक्ष ने घेरना शुरू किया था, तो एक धड़ा ये भी मान रहा है कि इस कारण बीजेपी भी उनके नाम को लेकर बैकफुट पर थी यानी शायद बीजेपी की तरफ से ही मना किया गया हो।

इसके बाद पवन सिंह इंतजार करते रहे कि शायद बिहार में किसी सीट से उनके नाम का ऐलान हो जाए। पवन सिंह की पसंद की बात करें तो वो बिहार के आरा से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन यहां बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता आरके सिंह को मैदान में उतार दिया। उसके बाद पवन सिंह काराकाट सीट चाहते थे लेकिन यह सीट बीजेपी ने गठबंधन के साथी उपेंद्र कुशवाहा को दे दिया। चुनावी जानकारों का मानना है कि पवन सिंह ने इस बार पूरा मन बना लिया था कि वे चुनाव जरूर लड़ेंगे। उनकी टीम ने भी तैयारी कर ली थी। ऐसे में जब पवन सिंह को लगा कि अब उन्हें बिहार में बीजेपी से टिकट नहीं मिलेगा तो उन्होंने खुद ही काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। पवन सिंह ने दावा किया कि उन्होंने अपनी मां को चुनाव लड़ने का वचन दिया है और इसलिए वे चुनाव जरूर लड़ेंगे।

अब इसे लेकर पवन सिंह के फैंस में तो जबरदस्त उत्साह है लेकिन राजनीतिक पंडित इसे अलग चश्मे से देख रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि पवन सिंह को बीजेपी से बगावत नहीं करनी चाहिए और इंतजार करना चाहिए था अगले चुनाव तक के लिए। वहीं पवन सिंह के समर्थकों का मानना है कि यही सही वक्त है खुद को राजनीतिक पिच पर लॉन्च करने का। वैसे भोजपुरी स्टार्स की बात करें तो पवन सिंह ने कुछ नया नहीं किया है। अभी बीजेपी सांसद और भोजपुरी के सुपरस्टार रवि किशन ने सबसे पहले कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा था और हार गए थे। भोजपुरी सुपरस्टार और दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी तो खुद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सपा से चुनाव लड़ चुके हैं और हार चुके हैं लेकिन आज ये दोनों स्टार बीजेपी में हैं। दिनेश लाल यादव निरहुआ भी अपना पहला चुनाव हार गए थे। ऐसे में पहली हार या जीत या फिर ये कहना है कि बीजेपी से बागी होने के कारण पवन सिंह को ज्यादा नुकसान होगा फिलहाल ऐसा नहीं लगता है।

राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है। रवि किशन, मनोज तिवारी इसके उदाहऱण हैं. आज मनोज तिवारी योगी और मोदी दोनों के खास हैं। कभी योगी के खिलाफ ही ताल ठोकी थी। रवि किशन भी कांग्रेसी थे और आज बीजेपी में हैं। इस तरह से देखा जाए तो संभव है कि आने वाले दिनों में पवन सिंह आपको दोबारा बीजेपी में दिख जाएं। यही राजनीति है। फिलहाल पवन सिंह को लेकर फैंस में उत्साह है और स्थानीय स्तर पर अपने चहेते स्टार को लेकर दीवानगी भी साफ दिख रही है और इसी कारण से यहां बीजेपी सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा के लिए लड़ाई अब आसान नहीं रह गई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी अपने बागी पवन सिंह को मना पाती है या फिर पवन सिंह एनडीए के खिलाफ ही ताल ठोकेंगे। आपको क्या लगता है पवन सिंह का फैसला सही है या गलत कमेंट में जरूर बताएं।

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