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पेरिस ओलंपिक में अब नई बहस: खिलाड़ी महिला है या पुरुष, जानें क्यों शुरू हुआ ये बवाल

पेरिस ओलंपिक में अब नई बहस छिड़ गई है, खिलाड़ी महिला है या पुरुष? ये बहस क्यों छिड़ी है ये तो बताएंगे ही, साथ ही यह भी बताएंगे कि आखिर ये बॉयोलोजिकल पुरुष होते कौन हैं? दरअसल, हुआ ये कि गुरुवार को अल्जीरिया की मुक्केबाज इमान खेलीफ और इटली की एंजेला कैरिनी मुक्केबाजी प्रतिस्पर्धा में आमने सामने थे। इमान के एक खतरनाक पंच ने एंजेला को ऐसे ढेर किया कि वो 46 सेकंड में ही मुकाबला छोड़कर बाहर हो गईं। लेकिन इस एक पंच ने अब पेरिस ओलंपिक में बवाल काट दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि खेलीफ बॉयोलोजिक पुरुष हैं। ऐसे में अब दुनियाभर में एक नई बहस छिड़ गई है जिसमें कहा जा रहा है कि एक महिला खिलाड़ी को बॉयोलोजिकल पुरुष खिलाड़ी के साथ रिंग में उतारना कितना सही है। लेकिन पेरिस ओलंपिक का नियम क्या कहता है? क्योंकि इस बार ओलंपकि में खेलीफ के अलावा भी कुछ और खिलाड़ी हैं जो बॉयोलोजिकल पुरुष हैं और वे भी आने वाले दिनों में अपने अपने खेलों में हिस्सा लेंगे। इसका मतलब है कि अभी ये बहस दूर तक जाना है।

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दरअसल, इस बार पेरिस ओलंपिक में जेंडर-इक्वालिटी का मामला है। चूंकि इमान खेलीफ के पासपोर्ट में महिला दर्ज है और पहले भी वो इसी योग्यता के आधार पर महिला प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा ले चुके हैं इसलिए पेरिस ओलंपिक में जेंडर इक्वालिटी को ध्यान में रखते हुए मौका दिया गया। ऐसे में यह गेम तो नियम के हिसाब से ही हुआ है लेकिन जिस तरह से एंजेला ने मैदान छोड़ा और बताया कि इससे पहले वो इतना खतरनाक पंच कभी चेहरे पर महसूस नहीं की थीं, उसके बाद दुनिया के तमाम बॉक्सिंग फैंस नाराज हैं। उनका मानना है कि बॉयोलोजिकल पुरुष को महिलाओं के साथ रिंग में नहीं उतारना चाहिए क्योंकि वो महिलाओं के मुकाबले हमेशा ही मजबूत रहेंगे और कोई महिला खिलाड़ी जो सालों मेहनत करती है, सिर्फ एक बॉयोलोजिकल पुरुष के सामने आ जाने से गेम हार सकती है और कभी भी उसके शरीर को भी भयावह नुकसान पहुंच सकता है, जैसा कि इस बार हुआ है। एंजेला की नाक बुरी तरह से जख्मी है और फिलहाल वो इलाज करा रही हैं।

लेकिन यहां सवाल यही है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसकी शारीरिक कद काठी एवं ताकत पूरी तरह से पुरुषों की हो, मगर वह खुद को महिला मानता है और कुछ उपचारों के आधार पर उसे महिला घोषित कर दिया जाए, वह महिलाओं के साथ ऐसी प्रतिस्पर्धा में भाग ले? क्या यह उचित है। ओलंपिक्स समिति कहती है कि सभी को बिना किसी भेदभाव के खेलों को खेलने का अधिकार है!” परंतु ऐसी कथित
महिलाएं, जिनमें अभी तक पुरुषों की ही जेनेटिक खूबियाँ हैं, क्या उन्हें महिला खिलाड़ियों के खिलाफ रिंग में उतारना चाहिए? यह बहस अब दुनियाभर में शुरू हो गई है। दुनियाभर के दिग्गज खिलाड़ियों ने मांग की है कि इस पर बहस हो और सही निर्णय लिया जाए ताकि आगे कभी ऐसा ना लगे कि किसी खिलाड़ी के साथ भेदभाव हो रहा है।

यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक्स समिति ने जहां खेलिफ़ को ओलंपिक्स में खेलने की अनुमति दी है, तो वहीं, अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग एसोसिएशन, जो ऐसी प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन करती है, उसने खेलिफ़ को अपात्र घोषित किया था। उस समय यह पाया गया था कि फीमेल प्रतिस्पर्धियों की तुलना में खेलिफ अपना पुरुष शरीर के कारण बहुत लाभदायक स्थिति में थे। इस कारण उन्हें अयोग्य करार दिया गया था।

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