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नेपाल से बिहार तक: नीचे बाढ़ ऊपर आसमान से बरस रही आफत, छतों पर अटके लोग, 8 जिलों में ऑरेंज अलर्ट

नेपाल में भारी बारिश के कारण बिहार की भी नदियां भी उफान पर हैं। नेपाल से बिहार तक बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है। लाखों लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। कई गांवों में लोग छतों पर अटके रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। नीचे पानी ही पानी है। ऊपर से आसमान से आफत की बारिश अभी भी जारी है। मौसम विभाग ने आज यानी सोमवार को एक बार फिर बिहार के 15 जिलों में बारिश और वज्रपात की चेतावनी दे दी है। इसके अलावा 8 जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।

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मौसम विभाग ने बताया है कि बिहार के 8 जिलों में पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज शामिल में भारी बारिश होने वाली है। 7 जिलों गोपालगंज, सिवान, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा और कटिहार में मध्यम बारिश होगी। इस बारिश को देखते हुए यहां के लोगों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है।

 

2008 जैसी तबाही की आशंका

नेपाल सीमा से सटे बिहार के जिलों में भारी तबाही मची है। 2008 से भी बड़ी तबाही की आशंका जताई जा रही है। दूर दूर तक गांव पानी में डूबे हुए नजर आ रहे हैं। लोगों को 2008 वाला डर सता रहा है। तब बिहार में बाढ़ की तबाही ने 500 से अधिक जानें ली थीं और लाखों लोग बेघर हुए थे।

56 साल में सबसे अधिक पानी छोड़ा गया

इस बार खतरा अधिक इसलिए भी है क्योंकि अभी तक कोसी नदी पर बीरपुर (नेपाल) बैराज से 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, यह 56 वर्षों में एक रिकॉर्ड है। इतना पानी इतने वर्षों में कभी नहीं छोड़ा गया। जब 2008 की तबाही मची थी तब भी नेपाल ने सिर्फ 2-3 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा था. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर सावधानी नहीं बरती गई और आसमान से ऐसे ही आफत की बारिश होती रही तो फिर इस बार तबाही 2008 से अधिक होगी।

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