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तालिबान के समर्थन में रूस का बड़ा कदम, आतंकवादी सूची से हटाने का विधेयक पारित

रूस ने तालिबान के प्रति अपने रुख को और नरम करते हुए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा ने मंगलवार को एक ऐसा विधेयक पारित किया है, जो तालिबान को आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाने का रास्ता साफ करता है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।

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रूस ने 2003 में तालिबान को आतंकवादी संगठन घोषित किया था और इसके साथ किसी भी तरह के संपर्क को दंडनीय अपराध माना जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में मॉस्को ने अफगानिस्तान में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल को अपने मंचों पर बातचीत का हिस्सा बनाया है।

विधेयक में क्या है खास?

नए विधेयक के तहत किसी संगठन का आतंकवादी दर्जा रूसी न्यायालय के माध्यम से निलंबित किया जा सकता है। हालांकि, इसे अभी रूस की संसद के ऊपरी सदन और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मंजूरी मिलनी बाकी है।

रूस का तर्क: अफगानिस्तान में स्थिरता की जरूरत

रूस के अधिकारियों का कहना है कि अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के लिए तालिबान के साथ संवाद और सहयोग बेहद जरूरी है। सोवियत संघ ने 1980 के दशक में अफगानिस्तान में 10 साल तक युद्ध लड़ा था, जिसका अंत 1989 में सैनिकों की वापसी के साथ हुआ था।

हालांकि, अफगानिस्तान में 2021 में सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान को अब तक अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। रूस का यह कदम तालिबान के लिए समर्थन बढ़ाने का संकेत देता है, जो वैश्विक राजनीति में नए समीकरण बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।

विरोध और समर्थन की मिलीजुली प्रतिक्रिया

रूस के इस कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। कई विशेषज्ञ इसे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को कमजोर करने वाला बताते हैं, जबकि रूस का कहना है कि यह अफगानिस्तान में स्थिरता और शांति लाने का एक प्रयास है।

 

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