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हिंडनबर्ग से निपटने की पूरी तैयारी, अडानी के मास्टरप्लान से मिटेगी दुश्वारी

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अडानी समूह के लिए आफत बनकर बरसी है। जब से हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर आरोपों की झड़ी लगाई है, तभी से अडानी समूह के शेयर्स लगातार धड़ाम होते जा रहे हैं। रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के करीब 20 दिन बाद भी अडानी ग्रुप को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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हिंडनबर्ग का सामना करने के लिए अडानी समूह ने कानूनी रास्ता अपनाया है। इसके साथ ही भारी नुकसान से निपटने के लिए ग्रुप ने कई अहम फैसले लिए हैं। इसमें कर्ज के भुगतान, कैपिटल एक्सपेंडीचर प्लान में कटौती और गिरवी रखे शेयर्स को छुडाने समेत कई फैसले शामिल हैं।

 

गिरवी शेयर्स छुड़ाएगी कंपनी
डैमेज कंट्रोल के तहत अडानी समूह ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, जिसमें गिरवी रखे शेयर्स को छुड़वाने को प्राथमिकता दी गई है। दरअसल, अडानी समूह की तीन कंपनियों ने कई बैंकों में अपने अतिरिक्त शेयरों को गिरवी रखा है, जिसे अब कंपनी छुड़ाने की तैयारी में है।

 

अडानी पोर्ट्स (Adani Ports), अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) और अडानी ग्रीन एनर्जी(Adani Green Energy) उन तीन कंपनियों के नाम हैं, जिन्होंनें बैंकों के पास अपने शेयर गिरवी रखे हैं। इसके साथ ही अडानी समूह ने कर्ज के भुगतान, कैश को बचाने और कैपिटल एक्सपेंडीचर प्लान में कटौती के लिए प्लानिंग कर ली है।

 

हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाएगा अडानी समूह
हिंडनबर्ग के द्वारा लगाए गए आरोपों से निजात पाने के लिए अडानी समूह ने कानूनी रास्ता चुना है। ग्रुप ने शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग से निपटने के लिए अमेरिका की दिग्गज लॉ फर्म वॉचटेल (Wachtell) का साथ चुना है। इसके अलावा उद्योगपति गौतम अडानी ने अडानी समूह का एक सामान्य ऑडिट (Audit) करने के लिए ‘बिग फोर’ (Deloitte, EY, PwC, KPMG) अकाउंटिंग फर्मों में से एक को चुना है।

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