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अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे है शिव मंदिर? जानें क्यों छिड़ा है विवाद

अजमेर दरगाह को लेकर राजनीति चरम पर है। दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने का दवा दिया जा रहा है। इसको लेकर अजमेर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में याचिका भी डाली गई है। जिसपर कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया है। जिसके बाद से राजनीतिक बहस छिड़ गई है, क्योंकि मथुरा, वाराणसी और धार में मस्जिदों और दरगाहों पर इसी तरह के दावे किए गए हैं। अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 दिसंबर जारी की है। कोर्ट के इस फैसले से विपक्षी नेताओं ने तीखी आलोचना की है। विपक्ष ने कहा कि कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर दरगाह पर चादर भेजी थी, तो अब क्या हुआ। उधर, भाजपा के नेताओं ने दावा किया है कि इस तरह के विवादित ढांचे के नीचे मंदिरों की मौजूदगी की जांच करने का निर्णय उचित है।

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बता दें, कोर्ट में हिंदू सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सरिता विहार निवासी विष्णु गुप्ता ने वकील शशि रंजन कुमार सिंह के माध्यम से 26 सितम्बर को याचिका दायर की गई थी।

 

पूजा स्थल अधिनियम पर बवाल

दरअसल, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के तहत अयोध्या को छोड़कर, देश भर में धार्मिक संरचनाओं पर 15 अगस्त 1947 की यथास्थिति बनाए रखने का कानून बना है। लेकिन 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण की अनुमति दी थी, जिसमें तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने तर्क दिया था कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 किसी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने से नहीं रोकता है।

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