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अभय-धनंजय कभी थे जिगरी दोस्‍त , कैसे बन बैठे एक दूसरे के जानी दुश्‍मन?

लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियां तेज हैं। जैसे-जैसे चरण दर चरण वोटिंग हो रही है वैसे-वैसे सियासी पारा भी बढ़ता जा रहा है। पूर्व सांसद धनंजय सिंह के ‘जीतेगा जौनपुर जीतेंगे हम’ के नारे के साथ उत्तर प्रदेश की जौनपुर सीट हॉट सीट बन गई है। हालांकि एक पुराने मामले में धनंजय सिंह को 7 साल की सजा होने के बाद उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं। जौनपुर सीट से पूर्व सांसद की पत्नी श्रीकला रेड्डी बसपा के टिकट पर चुनावी दंगल में उतरी है। उधर सपा विधायक और धनंजय सिंह के जानी दुश्मन अभय सिंह ने पूर्व सांसद को उत्तर भारत का डॉन बताकर प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर की राजनीति का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं, आज के ये जानी दुश्‍मन एक जमाने में ज‍िगरी दोस्‍त हुआ करते थे।

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समाजवादी पार्टी के विधायक अभय सिंह के आरोपों के बाद अभय सिंह और धनंजय सिंह की दुश्मनी की चर्चाएं फिर से होने लगी हैं। लेकिन एक दौर हुआ करता था जब ये दोनों बाहुबली एक-दूसरे के दोस्त हुआ करते थे। एक-दूसरे के जानी दुश्मन अभय सिंह और धनंजय सिंह की कहानी किसी बॉलिवुड फिल्म के प्लॉट से काम नहीं है। तो चलिए आपको इस वीडियो में अभय सिंह और धनंजय सिंह की दोस्ती से दुश्मनी तक की कहानी।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के माफिया और राजनीति पर सालों पहले 2004 में एक किताब लिखी गयी थी ” मौत माफिया और सियासत ”। इस किताब में अभय और धनंजय की दोस्ती से लेकर जानी दुश्मन बनने तक की पूरी कहानी है। कहानी की शुरुवात तब हुई जब लखनऊ विश्वविद्यालय में अभय और धनंजय की दोस्ती की कसमें खाई जाती थीं। छात्र राजनीति को लेकर अभय और धनंजय की दुश्मनी अजय कुमार सिंह से हुई थी। ये दुश्मनी इतनी गहराई कि विश्‍वविद्यालय परिसर से लेकर राजधानी में हत्याओं का दौर शुरू हो गया था। इस घटनाक्रम कई मांओं ने अपने बेटे खोए, कैरियर की खातिर लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ने आए कई छात्र अपराधी बन गए थे। अंत में अजय कुमार सिंह की हत्या हो गई।

फिर कुछ समय बीतने के बाद अभय और धनंजय सिंह छात्र यूनियन का चुनाव लड़ रहे थे उस समय दोनों लोग बहुत घनिष्ट दोस्त थे। लेकिन बाद में धीरे-धीरे अभय और धनंजय में दूरियां बढ़ीं, मनमुटाव हुआ और फिर संबंध खत्म हो गए थे। इसके बाद दोनों के बीच दुश्मनी का दौर शुरू हो गया था।

 

लखनऊ से दोनों के बीच शुरू हुआ मुकाबला उनके अपने-अपने इलाकों तक फैला था। राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते दोनों ने अपने-अपने क्षेत्र में लोकप्रिय होने के सारे हथकंडे भी अपनाए थे। दोनों विधानसभा चुनाव में भी कूदे। साल 2002 में अभय सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर फैजाबाद से विधानसभा के लिए दांव लगाया था। धनंजय सिंह ने लोकजनशक्ति पार्टी के टिकट पर जौनपुर के रारी इलाके से चुनाव लड़ा था। इसमें धनंजय सिंह तो विधानसभा के लिए चुन लिए गए थे लेकिन अभय सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा था। उसके बाद दोनों के बीच और भी ज्यादा दुश्मनी बढ़ गयी।

जिसके बाद 4 सितंबर 2002 को वाराणसी में अभय सिंह गुट ने धनंजय सिंह की कार पर हमला किया था। लेकिन उस हमले में धनंजय सिंह बच गए थे। धनंजय सिंह ने इस हमले को लेकर अभय सिंह पर आरोप भी लगाए थे। रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। इस हमले के बाद दोनों के बीच अदावत परवान चढ़ गई थी। दोनों पूर्वांचल से लेकर लखनऊ तक एक-दूसरे को ताकत दिखाते रहे।

इस दौरान कभी एक का पलड़ा भारी रहता तो कभी दूसरे का। विधायक बनने के बाद धनंजय सिंह की हैसियत बड़ी हो गई थी। राजा भैया का संरक्षण मिलने से उनका कद और बड़ा हो गया था। दूसरी तरफ, मुख्तार अंसारी के करीब आकर अभय सिंह ने भी अपनी ताकत में इजाफा कर लिया था। बीजेपी विधायक कृष्णा नंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी और अभय सिंह के बीच फोन पर बात हुई थी। उसका ऑडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। अभय सिंह के मुख्तार अंसारी से संबंध थे।

 

फिलहाल 2024 चुनावी संग्राम के बीच सपा विधायक अभय सिंह के आरोपों के बाद सबकी निगाहें धनंजय सिंह पर टिकी थी। धनंजय सिंह जेल से जमानत बहार आ गये हैं। ऐसे में जेल से बहार आते ही धनंजय सिंह ने अजय सिंह के आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा -कुछ लोगों की राजनीती मेरे नाम से चलती है , में ऐसे आपराधिक लोगों के बारे में बात ही नहीं करना चाहता हूँ। बरेली जेल से निकल कर धनंजय अपने चैत्र जौनपुर पहुंच चुके हैं।

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